गरीबी, भूख, अकाल के थपेड़ों से जूझ कर आत्मनिर्भरता की दहलीज़ तक हम पहुंचे हैं: राकेश मिश्र

गरीबी, भूख, अकाल के थपेड़ों से जूझ कर आत्मनिर्भरता की दहलीज़ तक हम पहुंचे हैं: राकेश मिश्र
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संतकबीरनगर:- आज़ादी की 75 वीं वर्षगांठ देश में ‘अमृत महोत्सव’ समारोह के रुप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर भारत विश्व शक्ति के रूप में गौरव और गर्व की अनुभूति के साथ आगामी भविष्य का लक्ष्य तय कर रहा है। गरीबी, भूख, अकाल के थपेड़ों से जूझ कर आत्मनिर्भरता की दहलीज़ तक हम पहुंचे हैं। हमनें युद्धों के दंश और विभीषिकाएं भी झेली हैं, लेकिन भारत हमेशा सांस्कृतिक रूप से बंद मुट्ठी की तरह एकजुट रहा है। यह हमारी राजनीतिक, सामाजिक, वैचारिक, आर्थिक और अस्तित्वमयी आज़ादी का दिन है।
उक्त बातें राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ बस्ती मंडल के अध्यक्ष, सी बी मिश्र इण्टर कालेज पटखौली के प्रधानाचार्य एवं संतकबीर विद्यापीठ स्नातकोत्तर महाविद्यालय मगहर संतकबीरनगर के प्रबन्धक राकेश मिश्र ने जारी एक विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि भारत आज स्वावलंबी है सैन्य हथियार भी बनाने लगा है। अंतरिक्ष के लिए असंख्य उपग्रह बनाए हैं और दूसरे देशों के उपग्रह भी अंतरिक्ष में भेजे हैं। जो देश सुई तक नहीं बना सकता था, आज वह विमान भी बना रहा है। यह सब कुछ तभी संभव हो रहा है, जब हम बुनियादी तौर पर लोकतांत्रिक हैं। हम विश्व के सबसे विराट लोकतंत्र हैं। भारत की सामूहिक चेतना और सोच में लोकतंत्र की गहरी पैठ है। लोकतंत्र ही चुनाव और देश की सत्ता-सियासत की आधार-भूमि है। "पुरानी नींव नया निर्माण" गीत हम यूं ही नहीं गाते रहे। श्री मिश्र ने कहा कि भारत का विकास उसके गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत की नींव पर ही खड़ा होगा। हम कोई 1947 में पैदा हुए देश नहीं हैं। भारत के इतिहास के जिस कालखंड को स्वर्णिम युग माना जाता है तब उन अंग्रेजों के यहां कपड़े भी नहीं पहनें जाते थे जिन्होंने डेढ़ सौ साल तक हम पर शासन किया। शरीर ढंकने के लिए वस्त्र की कल्पना ही नहीं थी। हमनें ही सबसे पहले लोकतंत्र की परिभाषा गढ़ी है और विश्व का मार्गदर्शन किया है। निश्चित ही आने वाला समय और भविष्य भारत का है। प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाने का औचित्य भी यही है कि जिन हुतात्माओं ने अपना जीवन देकर देश को स्वतंत्र कराया उनके संकल्पों और उद्देश्यों को हम कहां तक पूरा कर सके हैं और कितना करना शेष है इसकी समीक्षा की जा सके। उन्होंने ने कहा कि इस "आजादी के अमृत महोत्सव" के अवसर पर हम सभी देश के लिए जीने का संकल्प लें, देश के लिए मरने वालों के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्री मिश्र ने बताया कि एक अगस्त को एक लाख विद्यालयों में स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जाएगा जिसमें भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए अमृत महोत्सव पर व्याख्यान का कार्यक्रम सम्पन्न होगा।