चिकित्‍सकों के प्रयासों से शिवांगी ने दिया एक साथ तीन बच्‍चों को जन्‍म

in #santkabirnagar2 years ago

चिकित्‍सकों के प्रयासों से शिवांगी ने दिया एक साथ तीन बच्‍चों को जन्‍म

संतकबीरनगर, 10 अक्‍टूबर 2022। IMG-20221010-WA0358.jpgगर्भवती की अगर नियमित देखभाल होती रहे तथा उसके परिजन उसके खान पान के प्रति सतर्क रहें तो उच्‍च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की स्थिति में भी जच्‍चा – बच्‍चा की बेहतर सुरक्षा हो सकती है। जिला चिकित्‍सालय की स्‍त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ शशि सिंह ने अपने सहयोगी चिकित्‍सकों की मदद से गर्भवती शिवांगी के एक साथ तीन बच्‍चों की सिजेरियन डिलिवरी कराई। तीनों बच्‍चे पूरी तरह से स्‍वस्‍थ हैं।
26 वर्षीया शिवांगी बताती हैं कि वह मूल रुप से गोरखपुर जनपद के कुरी बाजार की निवासी हैं। उनका मायका बस्‍ती जिले के हरदी कमोखर में है। उनके पति दिल्‍ली में मजदूरी करते हैं। वह उन्‍हीं के साथ वहां रहती थीं। गर्भावस्‍था के तीसरे माह अपने मायके चली आईं। दो साल पूर्व उनकी सिजेरियन डिलिवरी एक प्राइवेट चिकित्‍सालय में हुई थी। बच्‍चे की मौत हो गयी थी, इसलिए वह बहुत ही सशंकित थीं। उनके मायके की एक नर्स ने उन्‍हें जिला चिकित्‍सालय की महिला चिकित्‍सक डॉ शशि सिंह के बारे में बताया। इसके बाद वह डॉ शशि की देखरेख में ही अपनी जांच करवाती थीं। डॉ शशि ने उनकी कई बार जांच कराने के साथ ही साथ आवश्‍यक सुझाव भी दिए। गांव की आशा कार्यकर्ता किरन देवी ने भी उनका बहुत सहयोग किया। डॉ शशि बताती हैं कि शनिवार को जब वह जांच कराने के लिए आईं तो उसकी परिस्थितियों को देखते हुए ऑपरेशन के जरिए तीनों बच्‍चे पैदा कराए। पैदा होने वालों मे दो बच्चियों का वजन 2.2 किलो तथा बच्‍चे का वजन 1.9 किलोग्राम है। ए‍हतियात के तौर पर इन तीनों बच्‍चों को बाडी वार्मर में रखा गया है। बाल रोग विशेषज्ञ भी उसकी निरन्‍तर निगरानी कर रहे हैं।
प्रसव के दौरान मौजूद रहे विशेषज्ञ
तीन बच्‍चों के एक साथ प्रसव की पूरी तैयारी की गयी थी। डॉ शशि ने अपने साथ बेहोशी के चि‍कित्‍सक डॉ संतोष तिवारी को तो साथ रखा ही था, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ देवेन्‍द्र प्रताप सिंह बच्‍चों की निगरानी के लिए आपरेशन थियेटर में ही मौजूद थे। वहीं वरिष्‍ठ स्‍त्री रोग विशेषज्ञों का भी दिशा निर्देश मिल रहा था।
क्‍या था प्रसव में जोखिम
पहला बच्‍चा सीजर से हुआ था और उसकी मौत हो चुकी थी।
काफी दर्द था और बच्‍चेदानी का पानी भी अधिक गिर चुका था।
शिवांगी को निमोनिया तथा उसके सीने में जकड़न भी थी।
महिला के गर्भ में एक साथ तीन बच्‍चे एक प्‍लेसेंटा से जुड़े थे।
शिवांगी के खून में आरएच फैक्‍टर की भी दिक्‍कत थी।
6 पहुंच गया था गर्भवती महिला का एएफआई – डॉ शशि
डॉ शशि बताती हैं कि शिवांगी गर्भावस्‍था के शुरुआती दौर से ही उनके ही निर्देशन में अपना इलाज कराती थीं। अल्‍ट्रासाउण्‍ड से यह पता चला कि उनके गर्भ में तीन बच्‍चे हैं। इसे ध्‍यान में रखते हुए निरन्‍तर इलाज किया जा रहा था। नौवे महीनें में जब वह ओपीडी में आईं तो उन्हें दर्द हो रहा था। इसके साथ ही एएफआई ( एम्‍नेटिक फ्लूड इंडेक्‍स ) 6 तक पहुंच चुका था जो कि न्‍यूनतम 10 होना ही चाहिए। इसके बाद वरिष्‍ठ चिकित्‍सकों से राय लिया तथा उसका तुरन्‍त ही सिजेरियन प्रसव कराया। वह एचआरपी ( हाई रिस्‍क प्रेगनेन्‍सी ) में थी, इसलिए विशेष ध्‍यान दिया जाता था। हर माह की 9 तारीख तथा 24 तारीख को गर्भवती की विशेष जांच की जाती है।