दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बहुत पर सक्रिय नहीं समितियां

in #santkabirnagar2 years ago

संतकबीरनगर। जिले में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार की अपरा संभावनाएं हैं। पशुपालक भी खूब हैं और पशुपालन भी खूब हो रहा है। वतर्ममान में लगभग 65 हजार पशु दूध दे रहे हैं और तीन लाख 25 हजार लीटर दूध पैदा हो रहा है। दुग्ध उत्पादन समितियों के नहीं होने की वजह ग्वाले व फेरी वाले घर- घर घूम कर दूध बेंच रहे हैं, कुछ लोग तो दूध का पूरा- पूरा उपयोग कर जा रहे हैं। जिले में दुग्ध उत्पादन समिति नहीं होने की वजह से इनका कामर्शियल उपयोग नहीं हो पा रहा है।जिले का गठन हुए लगभग 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इतना लंबा समय बीत जाने के बाद दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में कोई व्यवस्थित कार्य नहीं हो सका। जिले में दुग्ध साधन सहकारी समिति की स्थापना नहीं हो सकी। यही कारण है कि स्थानीय स्तर पर डेयरी उद्योग भी उस अनुरूप नहीं पनप सका जिस प्रकार से कल्पना की जा रही थी। कहने के लिए जिले में दो लाख 28 हजार गो-वंशीय और महीष वंशीय पशु हैं। इसमें से 65 हजार पशु वर्तमान में दूध दे रहे हैं। अन्य पशु या तो बुजुर्ग हो गए हैं। बच्चे हैं या फिर गर्भावस्था में हैं। फिर भी प्रतिदिन तीन लाख 25 हजार लीटर दूध जिले में पैदा हो रहा है। इसके बावजूद, विभिन्न कंपनियों के 20 हजार लीटर दूध बाहर से मंगाया जा रहा है।

उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ ओपी मिश्र ने बताया कि इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। दुधारु पशुओं को कामर्शियल स्तर पर किया जाना चाहिए। जिले में पशुपालक संगठित नहीं है। यही कारण है कि बड़े पैमाने पर दूध बाजारों में नहीं पहुंच पा रहा है। जिले में दुग्ध उत्पादन समितियों की स्थापना किए जाने की दरकार है। यदि समितियों की स्थापना हो जाए तो पशुपालकों के घर से आसानी से दूध संकलित हो जाएगा और इसका फायदा किसानों को होगा।

दुग्ध उत्पादन से अर्जित कर रहे अच्छी आय