जिला अस्पताल में चलने वाले डीडीआरसी पर मंडरा रहा है संकट
संतकबीर नगर : जिला अस्पताल में वर्ष 2015 से चलने वाले जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) पर संकट मंडरा रहा है। डीडीआरसी में संविदा पर तैनात फिजियोथेरेपिस्ट समेत नौ कर्मियों को चार साल से मानदेय नहीं मिल रहा है। बजट की मार झेलने वाली बस्ती जिले की सेवा प्रदाता एजेंसी ने प्रार्थना पत्र देकर इससे किनारा कस लिया। नई एजेंसी के लिए कई बार शासन के पास पत्र भेजा गया लेकिन इसके लिए स्वीकृति नहीं मिल पाई। इसकी वजह से यह स्थिति है।
जिला अस्पताल में कमरा नंबर-33 में चलने वाले डीडीआरसी में संविदा पर फिजियोथेरेपिस्ट के पद डा. बालकेश, साइक्लोजिस्ट के पद पर हरिओम, आडियोलाजिस्ट, बाबू, बहुउद्देशीय कर्मी, चपरासी समेत नौ कर्मी तैनात हैं। हाथ-पैर आदि की सेंकाई के अलावा चलने-फिरने में दिक्कत, कान से कम सुनने, मानसिक अस्वस्थता आदि की जांच के बाद अत्याधुनिक उपकरण से इलाज की व्यवस्था है। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के देख-रेख में डीडीआरसी चल रही है। जब से यह संचालित हुआ, उसके बाद से केंद्र सरकार से समय से बजट न मिलने की समस्या रही। बस्ती जिले के रूधौली स्थित आकृति कंसट्रक्शन मेन पावर सप्लाई एजेंसी के जरिए यहां पर तैनात कर्मियों को मानदेय मिलता था। लगभग चार साल पहले बजट की समस्या को देखकर प्रार्थना पत्र देकर इस एजेंसी ने इससे किनारा कस लिया। इसकी वजह से यहां पर तैनात फिजियोथेरेपिस्ट समेत नौ कर्मियों को चार साल से मानदेय नहीं मिल पा रहा है। नई एजेंसी नामित करने के लिए शासन को चार बार पत्र भेजा गया लेकिन इसके लिए स्वीकृति नहीं मिल पाई। वहीं, जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक फिजियोथेरेपिस्ट को जल्द कमरा खाली करने के लिए कह रहे हैं। इससे डीडीआरसी कभी भी बंद हो सकता है। डीडीआरसी के संचालन में कोई दिक्कत न आए, इसके लिए उच्चाधिकारी से वह जल्द वार्ता करेंगी। इसके बाद नई एजेंसी नामित करने के लिए पुन: शासन के पास पत्र भेजा जाएगा।