घमण्ड से मुक्त तो निर्मल ज्ञान और चारित्र से युक्त हो जीवन: युगप्रधान आचार्य महाश्रमण

in #samajicke2 years ago

लोहा गांव में अध्यात्म जगत के ‘पारस’ महाश्रमण का मंगल शुभागमन

वर्ष 2022 के छापर चातुर्मासिक प्रवेश में अब चार दिन शेष

IMG-20220705-WA0028.jpg10 किलोमीटर का किया विहार, लोहा गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय बना पावन

6 जुलाई को पड़िहारा में आचार्यश्री का होगा पावन प्रवास*

लोहा, चूरू (राजस्थान)

भीलवाड़ा में वर्ष 2021 का चतुर्मास सम्पन्न कर राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली आदि प्रदेशों की प्रलम्ब यात्रा के दौरान नित नए कीर्तिमान सृजित करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ अब धीरे-धीरे अपने वर्ष 2022 के चतुर्मास के लिए घोषित छापर के अतिनिकट पधार गए हैं। नौ जुलाई को आचार्यश्री अपनी श्वेत रश्मियों के साथ छापर में मंगल प्रवेश करेंगे। आचार्यश्री के चतुर्मासिक प्रवास को लेकर छापरवासी अति उत्साहित नजर आ रहे हैं। उतनी ही ऊर्जा के साथ तैयारियों में जुटे हुए हैं। 

आचार्यश्री महाश्रमणजी रतनगढ़वासियों को दो दिनों तक अपने अमृतवाणी से अभिसिंचित कर मंगलवार की प्रातः प्रस्थित हुए तो रतनगढ़वासी पूज्यचरणों में अपनी कृतज्ञता अर्पित कर रहे थे। आचार्यश्री को मंगल आशीष से आच्छादित कर अगले गंतव्य की ओर गतिमान हुए। विहार के कुछ समय पश्चात ही सूर्य की प्रखरता और उससे व्याप्त उमस लोगों के पसीने छुड़ाने लगी। इसके बावजूद भी समत्व के साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी निरंतर गतिमान थे। मार्ग में अनेक ग्रामीणों और श्रद्धालुजनों को आशीष बांटते लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री लोहा गांव में स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय में पधारे। लोहा गांव में अध्यात्म जगत के ‘पारस’ के समान आचार्यश्री का मंगल पदार्पण लोगों को भावविभोर बना रहा था। हर्षित ग्रामीणों और विद्यालय प्रबन्धन से जुड़े लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। 

विद्यालय परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन में उपस्थित ग्रामीणों व श्रद्धालुओं को आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि कोई आदमी किसी को अच्छी शिक्षा दे, उसके हित की बात करता है और वह आदमी बताने वाले पर कुपित हो जाता है तो ऐसा मानना चाहिए कि वह अपने घर आती हुई लक्ष्मी को डंडे से रोकने का प्रयास करता है। आदमी के भीतर अहंकार का भाव होता है तो वह दूसरों की सलाह को भी गलत रूप में ले लेता है। रूप, ज्ञान, धन, पद, प्रतिष्ठा व शक्ति आदि का घमण्ड आदमी को नहीं करना चाहिए। आदमी यह सोचे कि उसका अच्छा रूप कितने दिन रह सकता है। उसका पद भी भला कितने दिन रह सकता है। इसी प्रकार जो शक्ति आज है, वह भला कितने दिन रह सकती है। इसलिए आदमी को इनके घमण्ड से बचने का प्रयास करना चाहिए। शरीर और इन्द्रियों का सक्षम होना आवश्यक है, किन्तु मूल बात आदमी का ज्ञान और चरित्र निर्मल हो, ऐसा प्रयास होना चाहिए। ज्ञान होने पर भी मौन हो जाना और शक्ति होने पर भी क्षमा का भाव होना, यह खास बात होती है। 

अपनी शक्ति, सौन्दर्य, ज्ञान और सत्ता प्राप्ति का सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। जो बात अच्छी हो, उसे ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए और अपने ज्ञान को और अधिक बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। जिन्दगी में अहंकार नहीं, ज्ञान और चारित्र का निर्मलता का विकास होता रहे, ऐसा प्रयास करना चाहिए। 

आचार्यश्री ने लोहा गांववासियों को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की प्रतिज्ञाएं करवाईं। गांव के सरपंच भंवरलाल पूनिया, पूर्व पंचायत सचिव राजेश रूलानिया, लालसिंह राठौड़, स्कूल के ओर से पेमाराम कस्वां व पूर्व उपासक  सुमेरमल सुरणा ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी और पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। 6 जुलाई को आचार्यश्री का पावन प्रवास पड़िहारा में होगा। इसे लेकर उत्साही पड़िहारावासी आज से ही आचार्यश्री की मार्ग सेवा में सम्मिलित नजर आए।
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