रूस और अमेरिका से रिश्तों को लेकर क्या तलवार की धार पर चल रहा है भारत?

in #russia3 years ago

Wortheum, Suryakant singh,09 Mar 2022. 11:33 AM
Screenshot_20220309-113145_Chrome.jpg
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पैदा हुए हालात के बाद अगर किसी देश को सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है तो वो है भारत. ये कहना है विदेश और सामरिक मामलों के जानकारों का.

उनका मानना है कि मौजूदा हालात में भारत एक तरह से 'तलवार की नोक पर' ही चल रहा है जहाँ उसे रूस और अमेरिका से अपने रिश्तों के बीच सामंजस्य बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

पूर्व राजनयिक और विदेशी मामलों के विशेषज्ञ नवतेज सरना ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि अभी तक भारत वो सामंजस्य बनाए रखने में कामयाब रहा है. हालांकि, वो ये भी कहते हैं कि भारत के सामने इन दोनों देशों से रिश्ते बनाए रखने की चुनौती भी बहुत ज़्यादा है.

अमेरिका भारत पर रूस के ख़िलाफ़ अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए लगातार दबाव बनाए हुए है. गुरुवार को 'क्वाड' की बैठक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ज़ोर देते हुए कहा कि रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर 'कोई बहाना या टालमटोल नहीं चलेगा'.

ज़ाहिर है बाइडन का इशारा भारत की तरफ़ ही था क्योंकि 'क्वाड' में शामिल दूसरे देश जैसे जापान और ऑस्ट्रेलिया खुलकर रूस की आलोचना कर रहे है और वो इस मामले में अमेरिका के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं.
बुधवार को ही अमेरिकी सीनेट की बैठक भी हुई जिसमें भारत के रुख़ को लेकर चर्चा हुई. चर्चा के दौरान अमेरिका के दक्षिण एशियाई मामलों के मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने इस मुद्दे पर भारत से बात की है और बताने की कोशिश की है कि यूक्रेन पर हमले को लेकर भारत की आलोचना वाला बयान बेहद महत्वपूर्ण होगा.Screenshot_20220309-113517_Chrome.jpg
'युद्ध के पक्ष में कभी नहीं रहा भारत'

नवतेज सरना कहते हैं कि ये बात और है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई 'वोटिंग' में हिस्सा नहीं लिया लेकिन इसके बावजूद भारत युद्ध के पक्ष में कभी नहीं रहा.

वो कहते हैं, "वोटिंग से खुद को दूर रखने के बावजूद भारत ने यूक्रेन में मानवीय सहायता पहुँचाने की पहल भी की है और खुद को संयुक्त रास्ट्र के उस 'चार्टर' से भी दूर नहीं रखा है जिसमें रूस से संयम और युद्ध ख़त्म करने की अपील की गयी है. भारत भी चाहता है कि समस्या का हल बातचीत के ज़रिये ही हो न कि युद्ध के माध्यम से."

जानकार ये भी मानते हैं कि भारत के लिए ये परीक्षा की स्थिति इसलिए भी है क्योंकि अमेरिका के साथ जहाँ पिछले कुछ सालों में भारत का आर्थिक और सामरिक सहयोग काफी बढ़ा है, वहीं भारत रूस पर रक्षा से जुड़े उत्पादों की सप्लाई को लेकर निर्भर रहा है.

वर्ष 2018 में ही भारत ने रूस के साथ दूर तक मार करने की क्षमता रखने वाली 'सर्फेस टू एयर मिसाइल' की आपूर्ति के लिए 500 करोड़ अमेरिकी डालर के समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

भारत ने इसके लिए पैसों की पहली खेप की अदायगी भी कर दी है. रूस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में चल रहे उसके सैन्य अभियान का कोई असर भारत को की जाने वाली मिसाइल आपूर्ति पर नहीं पड़ेगा और वो तय समयसीमा में ही भारत को दे दी जाएगी.