रुपया सर्वकालिक निचले स्‍तर पर पहुंचा, जानें विदेश में शिक्षा, यात्रा और आयात पर क्‍या होगा असर

in #rupee2 years ago

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 80 रुपये के एकदम करीब पहुंचने से कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों तक का आयात, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी होने के साथ ही महंगाई की स्थिति और खराब होने की आशंका है. रुपये की कीमत में गिरावट का प्राथमिक और तात्कालिक प्रभाव आयातकों पर पड़ता है, जिन्हें समान मात्रा के लिए अधिक कीमत का भुगतान करना पड़ता है. हालांकि यह निर्यातकों के लिए एक वरदान होता है क्योंकि उन्हें डॉलर के बदले अधिक रुपये मिलते हैं. रुपये के इस तीव्र मूल्यह्रास ने भारत के लिए कुछ लाभों को लगभग खत्म कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय तेल और ईंधन की कीमतों को रूस-यूक्रेन युद्ध के पूर्व-स्तर तक गिरने से जो लाभ भारत को मिलता, रुपये के मूल्य में आई गिरावट से भारत उस लाभ से वंचित हो गया है.
गौरतलब है कि भारत पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन जैसी ईंधन जरूरतों को पूरा करने के लिए आयातित तेल पर 85 प्रतिशत तक निर्भर है. रुपया बृहस्पतिवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.99 रुपये के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था. भारत में आयात होने वाली प्रमुख सामग्रियों में कच्चा तेल,कोयला, प्लास्टिक सामग्री, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, वनस्पति तेल, उर्वरक, मशीनरी, सोना, मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर तथा लोहा एवं इस्पात शामिल हैं. ऐसे में यहां बताने की कोशिश की गई है कि रुपये में बड़ी गिरावट आने से खर्च पर किस तरह से असर पड़ सकता है:03hd9ml8_rupee-rupees-cash-money_625x300_16_November_18.webp

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