महानगर में कहीं जर्जर वाहन तो कहीं ऑटो से ढोए जा रहे स्कूली बच्चे
झांसी। कहीं जर्जर वाहनों से बच्चों को ढोया जा रहा है तो कहीं ऑटो से। असता से कई गुना अधिक बैठाए जा रहे हैं बच्चे। लेकिन कोई देखने वाला नहीं। न तो वाहनों की फिटनेस चेक की जा रही है और न ही चालकों के बारे में कोई जानकारी जिम्मेदारों के पास है। आपको बता दें कि स्कूली वाहनों में सुरक्षा उपकरण समेत प्राथमिक उपचार की व्यवस्था होनी अनिवार्य है, लेकिन, अधिकतर वाहनों में यह नहीं होते। बहुत सारे स्कूली वाहन चालक प्रशिक्षित नहीं होते। इस वजह से उन्हें रफ्तार की कोई परवाह नहीं होती। कई बार तेज रफ्तार की वजह से ही स्कूली वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुके। स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को जाली व दरवाजा लगा होना जरूरी होता है, लेकिन, अधिकतर वाहनों में न तो जाली होती है और न दरवाजा लगाया जाता है। दोनों ओर से खुला होने से दुर्घटना की आशंका अधिक रहती है। परिवहन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जनपद में स्कूली बच्चों को लेकर दौड़ने वाले वाहनों में कई के पास जरूरी परमिट नहीं है। महकमे में कुल 510 वाहन पंजीकृत हैं, लेकिन 170 से अधिक वाहन अभी भी ऐसे हैं, जिनके पास जरूरी परमिट नहीं है। इन वाहनों में फिटनेस न होने से ही वाहन स्वामी परमिट नहीं बनवाते। आरटीओ (प्रवर्तन) प्रभात पांडेय का कहना है कि समय-समय पर अभियान छेड़ा जाता है। जल्द दोबारा कार्रवाई की जाएगी।
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अमरीश आप दो दिन वोट मत करना आपकी वर्थ पावर बहुत कम है ओके
आपकी 2 दिन की 7 खबरों को लाइक कर दिया है।
Ok bro