INS विक्रांत से 45% बड़ा युद्धपोत बना रहा भारत

in #rr2 years ago

INS विशाल भारत का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। विशाल शब्द का संस्कृत में मतलब भव्य होता है। ये INS विक्रांत के बाद भारत में बना दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। विक्रांत की तरह विशाल को भी इंडियन नेवी के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में बनाने की योजना है।

INS विशाल के 65 हजार टन वजनी होने की उम्मीद है, यानी ये भारत का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। INS विक्रमादित्य और विक्रांत का वजन 45 हजार टन के आसपास है। INS विशाल पर 55 फाइटर प्लेन तैनात होने की उम्मीद है। INS विक्रमादित्य पर करीब 35 और विक्रांत पर 30 फाइटर प्लेन तैनात हो सकते हैं।

अभी भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर-INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत हैं। 2 सितंबर को नेवी में शामिल INS विक्रांत देश में बना पहला और सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है।

विक्रांत से पहले भारत के पास INS विक्रमादित्य के रूप में एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर था। विक्रमादित्य को रूसी प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया था।
INS विक्रांत से 45% बड़ा युद्धपोत बना रहा भारत:65 हजार टन वाले INS विशाल पर तैनात हो सकेंगे 55 फाइटर प्लेन

3 घंटे पहलेलेखक: अभिषेक पाण्डेय
INS विक्रांत के नेवी को मिलने के बाद अब भारत के तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर INS विशाल की चर्चा शुरू हो गई है। 2 सितंबर को देश में बना युद्धपोत INS विक्रांत नेवी में शामिल हो गया है, लेकिन हिंद महासागर में चीन की नेवी के बढ़ते दखल से निपटने के लिए देश के लिए तीसरे एयरक्राफ्ट की भी जरूरत बहुत बढ़ गई है।

इस एक्सप्लेनर में जानते हैं कि आखिर क्या है देश के तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर INS विशाल से जुड़ा प्रोजेक्ट? इसके कब तक पूरा होने की उम्मीद है? क्या होंगी इसकी खासियतें?

क्या है INS विशाल?

INS विशाल भारत का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। विशाल शब्द का संस्कृत में मतलब भव्य होता है। ये INS विक्रांत के बाद भारत में बना दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। विक्रांत की तरह विशाल को भी इंडियन नेवी के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में बनाने की योजना है।

INS विशाल के 65 हजार टन वजनी होने की उम्मीद है, यानी ये भारत का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। INS विक्रमादित्य और विक्रांत का वजन 45 हजार टन के आसपास है। INS विशाल पर 55 फाइटर प्लेन तैनात होने की उम्मीद है। INS विक्रमादित्य पर करीब 35 और विक्रांत पर 30 फाइटर प्लेन तैनात हो सकते हैं।

अभी भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर-INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत हैं। 2 सितंबर को नेवी में शामिल INS विक्रांत देश में बना पहला और सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है।

विक्रांत से पहले भारत के पास INS विक्रमादित्य के रूप में एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर था। विक्रमादित्य को रूसी प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया था।

क्या है INS विशाल प्रोजेक्ट?

मई 2012 में नेवी चीफ एडमिरल निर्मल वर्मा ने कहा था कि देश में बनने वाले दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए स्टडी की जा रही है।

2012 में ही INS विशाल के डिजाइन स्टेज का काम नेवी की नेवल डिजाइन ब्यूरो ने शुरू किया।
शुरू में नेवी की योजना डिजाइनिंग के लिए किसी देश की मदद नहीं लेने की थी, हालांकि बाद में इसके लिए रूसी एयरक्राफ्ट के डिजाइन की मदद लेने का फैसला किया गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2013 में नेवी ने INS विशाल पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम यानी EMALS लगाने के लिए अमेरिकी सरकार से संपर्क किया था।
2015 में ओबामा के राष्ट्रपति रहने के दौरान अमेरिका ने कहा था कि वह भारत को EMALS और अन्य टेक्नोलॉजी बेचने के पक्ष में है।
2015 में ही INS विशाल की डिजाइन के लिए नेवी ने चार देशों-ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और रूस की डिफेंस कंपनियों से संपर्क साधा। नेवी ने इन कंपनियों से वॉरशिप की टेक्निकल और लागत से जुड़ी जानकारी मांगी थी।
अगस्त 2015 में भारत और अमेरिका ने INS विशाल की डिजाइनिंग और डेवलपमेंट के लिए एक जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाया।
अक्टूबर 2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने INS विशाल के लिए EMALS से जुड़ी टेक्नोलॉजी भारत को देने को मंजूरी दे दी।
दिसंबर 2018 में नेवी चीफ सुनील लांबा ने कहा कि INS विशाल की योजना पर काम आगे बढ़ गया है और जहाज का निर्माण अगले 3 सालों में शुरू होने की संभावना है।
अप्रैल 2021 में नेवी ने फैसला किया वह अब INS विक्रमादित्य को रिप्लेस करने के लिए INS विशाल को लाएगी।
नवंबर 2021 में नेवी ने INS विशाल की डिजाइन में थोड़ा बदलाव लाने के लिए चर्चा शुरू की।
इसमें INS विशाल को अनमैंड और मैंड दोनों एयरक्राफ्ट की लैंडिंग का डिजाइन तैयार करने और वर्तमान साइज (65 हजार टन) को थोड़ा घटाने पर विचार किया गया। साइज घटाने से कैरियर का वजन, लागत और इसे बनने में लगने वाला समय घटेगा।
अप्रैल 2022 में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड यानी BHEL ने INS विशाल में इलेक्ट्रिक सिस्टम के सिलसिले में जनरल इलेक्ट्रिक के मालिकाना हक वाली ब्रिटिश और फ्रेंच कंपनी GE पावर के साथ करार किया।
INS विशाल को लेकर डिफेंस पर बनी स्थायी संसदीय समिति ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि भारतीय प्रायद्वीप के दोनों किनारों पर लंबे समुद्र तटों और शत्रुतापूर्ण चुनौतियों की वजह से तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर एक जरूरी आवश्यकता है।
इसी समिति ने इस साल मार्च में लोकसभा में पेश एक और रिपोर्ट में नेवी की योजनाओं के बारे में बताते हुए 'स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर-2' का भी जिक्र किया था। नेवी चाहती है कि देश के पास हर समय कम से कम 3 युद्धपोत रहें, ताकि अगर एक को रिपेयरिंग की भी जरूरत पड़े तो दो हमेशा सेवा में तैनात रहें।
कब तक तैयार हो जाएगा INS विशाल?

INS विशाल की चर्चा करीब एक दशक पहले शुरू हुई थी। शुरू में इसके 2020 तक नेवी में शामिल होने की उम्मीद थी, लेकिन कई कारणों से ये प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया।

2018 में नेवी ने इसका निर्माण कार्य 2021 तक शुरू होने की संभावना जताई थी। अब इसके 2030 तक नेवी में शामिल होने की संभावना है।

भारत को क्यों है INS विशाल की जरूरत?

भारत को समुद्रों की सुरक्षा के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर्स की सबसे ज्यादा जरूरत है। हाल के वर्षों में भारत के आसपास के समुद्री इलाकों, खासतौर पर हिंद महासागर में चीन की पहुंच बढ़ी है। ऐसे में भारत के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर्स अहम हो जाते हैं।

अब तक चीन के पास लिओनिंग और शेडोंग नाम से दो एयरक्राफ्ट कैरियर थे और इस साल जून में उसने अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान भी लॉन्च किया है। ये चीन में निर्मित और CATOBER टेक्निक से लैस चीन का पहला वॉरशिप है।4-8_1662223624.webp1-12_1662221672.webp