जहां आज भारत-पाक मैच, उस स्टेडियम की कहानी:पाकिस्तानी मिट्टी, अमेरिकी घास
UAE में पहली बार क्रिकेट की एंट्री 19वीं सदी में अंग्रेजों के जरिए हुई थी। उस समय UAE पर अंग्रेजों का कब्जा था और उसे ट्रुशियल स्टेट्स के नाम से जाना जाता था।
तब अंग्रेज फौज के जवान देशभर में बने मिलिट्री बेस में शौकिया तौर पर क्रिकेट खेला करते थे, लेकिन अंग्रेजों से UAE के आम लोगों तक क्रिकेट पहुंचने की एक अलग कहानी है।
19वीं सदी में रोजगार और रोजी-रोटी की तलाश में बड़ी संख्या में भारत-पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे भारतीय-उमहाद्वीप के देशों के लोग UAE पहुंचने लगे थे। क्रिकेट इन्हीं लोगों के जरिए UAE में लोकप्रिय हुआ।
1971 में UAE अंग्रेजों से आजाद हुआ, लेकिन उससे 2 साल पहले ही वहां क्रिकेट क्लब बन चुका था। नाम था दार्जिलिंग क्रिकेट क्लब। इसे बनाने का श्रेय भी भारत-पाकिस्तान के लोगों को ही जाता है। इसके बाद वहां क्रिकेट और लोकप्रिय होते गया।
इसकी बानगी 1977 में तब देखने को मिली, जब स्टार लोकल प्लेयर्स और पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की शारजाह आई टीम के बीच एक मैच खेला गया। इस मैच को देखने 3 हजार दर्शक पहुंचे, जिनमें शेख सुल्तान बिन मोहम्मद कासिमी भी शामिल थे।
एक बिजनेसमैन, जिसे फादर ऑफ UAE क्रिकेट कहा जाता है
यहां की बंजर जमीन पर हरे-भरे स्टेडियमों के लहलहाने का श्रेय जाता है- अब्दुल रहमान बुखातिर को। रहमान UAE के सबसे बड़े बिजनेसमैन में से एक हैं। बुखातिर ग्रुप के नाम से उनका बिजनेस अब रियल एस्टेट, कंस्ट्रक्शन, आईटी, हेल्थ केयर, ऑयल एंड गैस से लेकर स्पोर्ट्स और लेजर तक तमाम क्षेत्रों में फैला है।
रहमान का बचपन पाकिस्तान में बीता। कराची में स्कूल के दिनों में उनके मन में क्रिकेट के लिए प्यार जन्मा।
1970 के दशक में UAE में क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता को रहमान भांप गए थे कि वहां क्रिकेट का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। इसी वजह से प्रवासियों के लिए 1974 में उन्होंने शारजाह में बुखातिर लीग शुरू की थी।