राजनिवास वाले बाबा के बाद एक और फोटो प्रेमी हुआ गिरप्तार।

in #rewa2 years ago

पहले नेता फिर पत्रकार बनकर तस्करी और ठगी करने वाला पहुचा सलाखों के पीछे।
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पत्रकारिता एक ऐसा पेसा है जिसमे पत्रकार और उसकी पत्रकारिता की सच्चाई कुछ ही दिन में उजागर हो जाती है ,जो चाहे जिस उद्देश्य से इस पेशे में उतरे उसकी सच्चाई कुछ ही दिनों में समाज के सामने आ जाती है। पत्रकारिता की चमक धमक लोग ज्यादा देखते हैं, इसकी सच्चाई को कम । यही कारण है कि यह ब्लैक मेलिंग और अपने काले कारनामों को छिपाने का एक अच्छा माध्यम बन गया है। खासकर इन दिनों जब सोशल ,डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जमाना है, तब तो जिसके हाथ में एंड्राइड मोबाइल है वही पत्रकार है। यही कारण है कि आज पुलिस प्रशासन नेता ऐसे लोगों को संरक्षण देते हैं, जो आंख बंद कर किसी के खिलाफ कुछ भी सोशल मीडिया में वायरल कर दे। अगर यह कहे कि यह मीडिया वाले नेता अधिकारियों के आईटी सेल के सदस्य बनकर रह गए हैं तो अतिशयोक्ति नही होगी। यही कारण है कि इस तरह के तथाकथित पत्रकार जमकर फल फूल रहे हैं।जिनका उपयोग प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर नेता कर रहे हैं. सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि वर्षों से पत्रकारिता करने वाले भी इनके सामने बौने साबित होते हैं और अपनी छवि बनाये रखने के लिए संघर्ष करते हैं।यह तथाकथित पत्रकार पुलिस प्रशासन के लिए दलाली का काम कर अपने आप को और पुलिस को भी सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।हम बात कर रहे हैं रीवा जिले की जहां 3 साल पहले कमल सिंह नाम का युवक पहले राजनीति करने के नाम पर मैदान में उतरा और धड़ाधड़ कांग्रेस ,बीजेपी नेताओं के साथ-साथ अधिकारियों के साथ फोटो खिंचवाई ,इसके बाद उसका असली रूप दिखा और इन्हीं नेताओं अधिकारियों की फोटो दिखाकर सेना से रिटायरमेंट हुए कई जवानों के साथ बेरोजगारो की गाढ़ी कमाई हजम कर लिया , ठगी भी इतनी सफाई से की थी कि नटवर लाल को भी पीछे छोड़ दिया। आप को बता दे कि आरोपी कमल सिंह जवा तहसील के कोटरा खुर्द का रहने वाला है ,जिसके द्वारा करोड़ों की ठगी की गई थी, जिसके खिलाफ सिविल लाइन थाने में दर्जनों प्रकरण दर्ज हुए और आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, जेल से छूटने के बाद उसका तीसरा चरण शुरू हुआ और वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने डेरा जमाए कुछ पत्रकारों की टीम में शामिल हो गया। और इसका तीसरा रोजगार शुरू हुआ। इसी रोजगार का फायदा उठाते हुए नशीली कफ सिरप, शराब की तस्करी से जुड़ गया और काले कलर की एक्सयूवी से तफरी कर धौस दिखाने लगा और जिन पत्रकारों के द्वारा इसके काले कारनामो को उजागर किया गया था उन्ही के खिलाफ साजिश रचने लगा। जैसा हमने पहले ही बताया कि पत्रकारिता ऐसा पेशा है कि कुछ दिन में ही कलई खुल जाती है,वही हुआ और चाकघाट पुलिस ने इसके वाहन को पकड़ा जिसमें शराब और कोरेक्स बरामद हुई ,लेकिन आरोपी फिर पत्रकारिता और वसुलीवाज पुलिस कर्मियों के सहयोग से भाग निकला। जिसके खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था।
इस दौरान आरोपी कमल सिंह ने कुछ पत्रकारों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने डेरा जमाया और हर छोटे-बड़े मामले में एडिशनल एसपी से लेकर एसपी कलेक्टर से मिलकर वर्जन लेता रहा, कलेक्ट्रेट में आयोजित सभाओं में बैठता रहा और अपने आप को बचाता रहा। इसी दौरान पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन के द्वारा चलाए जा रहे फरार आरोपियों की गिरफ्तारी अभियान के तहत चाकघाट थाना प्रभारी अरविंद सिंह राठौर को सूचना मिली कि आरोपी इन दिनों पत्रकारिता का चोला ओढ़कर अपने वसूली बाज साथियों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने अपना अड्डा बना लिया है,जहाँ बैठा हुआ है। पुलिस टीम ने दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार किया जिसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है। इतना ही नहीं आरोपी के खिलाफ सिविल लाइन थाने में रिटायर्ड सेना के जवानों के साथ दर्ज धोखाधड़ी, शिल्पी प्लाजा में व्यापारी के साथ ठगी कर ऐसी लगवाने जैसे कई मामलों का रिकार्ड भी पुलिस के द्वारा सम्मिलित किया गया है।