दो जून की रोटी के लिए बच्चे कंधे पर किताबों की जगह उठा रहे कूड़े की बोरी

in #rewa2 years ago

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रीवा,दो जून के रोटी के लिए हर कोई अपना सफर तय कर रहा है पर पढ़ने वाले बच्चे अगर इस उम्र में ऐसा कर रहे है वह सोचने पर मजबूर करने वाली बात है बच्चे किताबो की बस्तों की जगह कूड़े की बोड़ी लेकर कबाड़ के तलाश में अपना समय खफा रहे है या तो आज भी गरीबी है या कि घर वालो के चोरी -छिपे बच्चे काम कर रहे है । हाल ही में दो जून गुरुवार को बैकुण्ठपुर नगर के सड़कों के डिवाइडर पर दो बच्चे कंधे पर दो बोरिया लिए नंगे पैर सुबह से लेकर दोपहर तक प्लास्टिक, लोहा आदि कबाड़ बिनकर गुजर रहे थे जिन हाथों में किताब-कॉपी होनी चाहिए, वो बच्चे दो जून की रोटी के लिए कूड़ा चुन रहे हैं। पीठ पर किताबों की बोझ नहीं बल्कि प्लास्टिक बोरी में रद्दी और गंदगी रहती है। होश संभालते ही बीमारियों की परवाह किए बिना कूड़े की ढेर से ही अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते हैं। सच्चाई यह है कि इन बच्चों को भी दूसरे बच्चों की तरह पढ़ने और अच्छे कपड़े पहनने का शौक है लेकिन गरीबी उन्हें जिम्मेवारी का एहसास कराती है। यहीं कारण है कि सुबह होते ही बच्चे बोरा लेकर कूड़ा चुनने निकल जाते हैं। ऐसे हालात में सर्व शिक्षा अभियान की हकीकत हर दिन रोज बया कर रही ऐसे बच्चो के भविष्य के लिए माता पिता भी ननिहाल के बारे में कुछ नहीं सोच रहे हैं । जबकि बैकुंठपुर नगर में यही बच्चे नशे के लिप्त में आ चुके है । ऐसे बच्चो के भविष्य के लिए सामाजिक संस्थाओं को आगे आना चाहिए।