रीवा: बारिश में मच्छरों से होने वाली बीमारियों का बढ़ा खतरा,217 घरों में मिले मलेरिया के लार्वा

in #rewa2 years ago

3306 घरों में सर्वे, 217 में मिले मलेरिया के लार्वा

बारिश में मच्छरों से होने वाली बीमारियों का बढ़ा खतरा, सजगता जरुरी

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मौके पर मलेरिया विभाग की टीम

रीवा : मानसून सीजन प्रारंभ होने के साथ ही जगह-जगह पानी का जमाव शुरू हो गया है। ऐसे में मच्छरों का प्रकोप बढने लगा है। मलेरिया विभाग की | टीम ने जून माह में शहर के विभिन्न वार्डो में पहुंचकर 3306 घरों में सर्वे किया है। जहां 217 घरों में मलेरिया के लार्वा पाए गए हैं।

279 कंटेनरों में मौजूद थे लार्वा

शहर के विभिन्न वार्डो में सर्वे के दौरान 217 घरों के 279 कंटेनरों में लार्वा पाये गये। जिनको कीटनाशक डालकर नष्ट किया गया। इसके साथ ही अन्य 883 जल पात्रों को खाली कराया गया है।

ऐसे बढ़ते हैं मच्छर

गड्डों, डिब्बों, टायरों, खुली टंकी, अनुपयोगी समानों इत्यादि में पानी जमा हो जाता है। चूंकि मच्छर अपने अण्डे इन्ही रूके हुए साफ पानी में देते है और सात दिनों में अंन्डे से लार्वा, प्यूपा तत्पश्चात मच्छर बन कर उड़ जाते है | जिससे आसपास के इलाकों में मच्छरों की संख्या अचानक बढ़ जाती है।

इन बीमारियों का खतरा

मच्छरों से होने वाली बीमारियों में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनियां आदि होने की संभावना बढ़ जाती है। इसको लेकर मलेरिया विभाग द्वारा गठित टीमों द्वारा लार्वा सर्वे एवं उनके विनिष्टीकरण का कार्य किया जा रहा है। साथ ही दल के सदस्यों द्वारा लोगों को मच्छरों से होने वाली बीमारियों के लक्षण, बचाव व नियंत्रण के उपाय संबंधी समझाइस दी जा रही है।

इस तरह बरतें सावधानी

» ऐसे सभी कंटेनर जिसमें सप्ताह भर से पानी जमा है। प्रत्येक सप्ताह में एक बार पानी निकाल देना चाहिए। साफ करके फिर से पानी भरना चाहिए।

» सभी कंटेनर को इस प्रकार ढक कर रखें कि इनमें मच्छरों का प्रवेश न हो पाये। और अंडे न दे पाये।

» मच्छरों के लार्वा पानी में स्पष्ट दिखाई देते है। इन्हें चाय की छती या पानी की छन्नी का इस्तेमाल करके भी निकाला जा सकता है। ये कीड़े पानी से निकलने के बाद स्वतः मर जाते है।