ओबीसी क्रीमी लेयर का दायरा बढ़ाने की तैयारी में केंद्र।
पंकज मिश्रा सीतापुर। अगड़ों की पार्टी व हिंदुओं की एकता की प्रतीक की तर्ज पर खुद को पेश करने वाली भाजपा नीत केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार एक तरफ जहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए प्रोन्नत में आरक्षण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील दे रही है। वहीं अब पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर के दायरे को बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। गरीब सवर्णों को आरक्षण के दायरे में मजबूती देने के बजाय ओबीसी क्रीमी लेयर के मौजूदा 8 लाख आय के दायरे को बढ़ाकर 10 लाख तक किया जा सकता है। वैसे तो आरक्षण को समाप्त करने के लिए संविधान में समय नियत किया गया है पर इसके बजाय इस दायरे को प्रत्येक तीन साल में बढ़ाने का प्रावधान है। जिससे 2017 में पहले भी इस दायरे में मोदी सरकार द्वारा बढ़ोतरी की गई थी। तब इस को छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख किया गया था। बिहार में तय सीमा से अधिक आरक्षण और तमिलनाडु सहित देश के सात ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां स्थिति ठीक उलट है इन राज्यों में ओबीसी को निर्धारित 27% से ज्यादा आरक्षण दिया जा रहा है। जिसके तहत बिहार में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 33% तमिलनाडु में 50% केरल में 40% आंध्र प्रदेश में 29% और कर्नाटक में 32% तक आरक्षण मिल रहा है जबकि संविधान के मुताबिक ओबीसी के लिए 27% आरक्षण का प्रावधान है। लेकिन छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश पंजाब राजस्थान और झारखंड समेत लगभग 11 राज्य और कुछ केंद्र शासित प्रदेश है ऐसे हैं जहां इन्हें तकरीबन 27% के आस पास आरक्षण मिल सकता है।