मुनि सुव्रतनाथ विधान में श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

in #religion4 days ago

बागपत 15 सितंबर : (डेस्क) 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, नेहरू रोड पर हुआ आयोजन।श्रद्धालुओं ने विधिविधान से पूजा-अर्चना की।जल शुद्धि के लिए मंगलाष्टक का पाठ किया गया।

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श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि सुव्रतनाथ विधान का भव्य आयोजन

नेहरू रोड स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में शनिवार को मुनि सुव्रतनाथ विधान का भव्य आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और उन्होंने हर्षोल्लास के साथ पूजा-अर्चना की।

विधान का शुभारंभ पंडित रजनीश जैन शास्त्री ने मंगलाष्टक का पाठ कर जल शुद्धि कराकर किया। इसके बाद सौधर्म इंद्र बने मुकेश जैन और अभिषेक जैन ने श्री पार्श्वनाथ भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान किया और उनकी शांतिधारा की।

विधान के दौरान 108 अर्घ्य मांडले पर श्रद्धालुओं ने अर्पण किए। संध्या के समय 108 दीपकों से श्री पार्श्वनाथ भगवान की संगीतमयी आरती संयम जैन द्वारा कराई गई। इस दौरान सत्येंद्र कुमार जैन, नरेश चंद जैन, अनिल जैन, राजीव जैन, मुकेश जैन, संयम जैन, आदिश जैन, विनय जैन आदि उपस्थित थे।

मुनि सुव्रतनाथ भगवान की महिमा

मुनि सुव्रतनाथ जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर हैं। उन्होंने अपने जीवन में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच महाव्रतों का पालन किया। उनके जीवन से हमें संयम और त्याग की महिमा का बोध होता है।

मुनि सुव्रतनाथ विधान में श्रद्धालु उनकी महिमा का गान करते हैं और उनसे विश्व कल्याण की कामना करते हैं। यह विधान जैन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

अन्य जैन मंदिरों में भी धूमधाम से मनाया गया दशलक्षण पर्व
इसी दौरान बागपत के अजितनाथ सभागार मंडी में दशलक्षण पर्व के सातवें दिन जिन सहस्र नाम विधान का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें सौधर्म इंद्र का सौभाग्य राकेश जैन और सौरभ जैन को प्राप्त हुआ।

शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विधानाचार्य प्रियंका दीदी ने तप धर्म का व्याख्यान करते हुए तप की महिमा का वर्णन किया और बताया कि तप के द्वारा ही जीव मुक्ति को प्राप्त होता है।

इस प्रकार जैन मंदिरों में दशलक्षण पर्व के अवसर पर विविध धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिससे श्रद्धालुओं में धार्मिक भावना का संचार हुआ और उन्हें संयम और त्याग की प्रेरणा मिली।