अज्ञानता ही अंधकार है: जैन संत
राणावास- मारवाड़ के रूप रजत विहार में प्रवचन करते हुए श्रमण संघीय उपाध्याय प्रवीणऋषि मसा. ने कहा कि हमारे अंदर व्याप्त अज्ञानता ही अंधकार है। हम ज्ञान रूपी दीपक के प्रकाश से अपने जीवन को परिष्कृत और उत्कृष्ट कर सकते हैं। ज्ञान के बिना मानवता का कोई अर्थ नहीं है। हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है, हमारा जन्म क्यों हुआ है तथा हम समाज और राष्ट्र के किस रूप में काम आ सकते हैं। जब अंतस का अंधकार हमारे आत्मबल से टकराता है तब हमारे अंदर विद्यमान चेतना का बिंदू हमारे अस्तित्व और विवेक की रक्षा करता है। इसी तरह संत त्रिथेशऋषि ने भी विचार रखे। इस मौके रूप रजत फाउंडेशन के नौरतनमल गुंदेचा, उपाध्यक्ष सुरेशचंद गुंदेचा, गौतमचंद गुगलिया, रमेश बोहरा, नेमीचंद चौपड़ा, महेंद्र बरलोटा सहित जैन समाज के लोग व श्रोता उपस्थित थे। जैन संतों ने सोमवार सुबह राणावास से विहार कर कस्बे के आउवा रोड से धूमधाम से नगर प्रवेश किया। यहां जैन समाज के लोगों के साथ जैन संत रूप रजत विहार पहुंचे।
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