साधना के मार्ग पर सबसे बड़ी बाधा अहंकार: प्रवीण ऋषि
मारवाड़ के रूप रजत विहार में प्रवचन के दौरान श्रमण संघीय उपाध्याय प्रवीणऋषि मसा ने कहा कि हम किस बात पर अहंकार कर रहे हैं। मनुष्य के जीवन में आंसू बहाने की बात है तो उसका अहंकार है। जिसका कोई कारण नहीं है। गुस्से का कारण है कि सामने वाले ने मेरे मन जैसा व्यवहार नहीं किया। लोभ का भी कारण है कि सामने बहुत अच्छी चीज है। परन्तु अहंकार का कारण नहीं है। अहंकार ही नहीं रहेगा तो गुस्सा, माया और लोभ निकल जाएंगे। यह सभी अहंकार के पीछे हैं। उन्होंने कहा कि साधना के मार्ग पर सबसे बड़ी बाधा अहंकार है। मस्तक झुक जाता है परन्तु अहंकार नहीं झुकता। अहंकार की लड़ाई को जिसने जीत लिया, वो श्रेष्ठतम बन गए। जिसने अहंकार को नहीं जीता उसे हर जगह झुकना पड़ता है। इसी तरह संत त्रिथेश ऋषि ने भी विचार रखे। इस मौके रूप रजत फाउंडेशन के नौरतनमल गुंदेचा, उपाध्यक्ष सुरेशचंद गुंदेचा, गौतमचंद गुगलिया, शांतिलाल पटवा, रमेश बोहरा, नेमीचंद चौपड़ा, महेन्द्र बरलोटा, पूर्व विधायक केसाराम चौधरी, गणपत मरलेचा सहित अन्य उपिस्थत थे।
जायगुरु देव
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