श्रीकृष्ण को कराया जल विहार, किया तुलादान

in #ralley2 days ago

चित्रकूट 17 सितंबर:(डेस्क)चित्रकूट में भगवान श्रीकृष्ण के जल विहार उत्सव का आयोजन धूमधाम से किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। यह उत्सव धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है, जो हर साल मनाया जाता है। इस बार भी उत्सव में विभिन्न धार्मिक गतिविधियाँ और कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिससे भक्तों में विशेष उल्लास देखने को मिला।

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जल विहार उत्सव का आयोजन
भगवान श्रीकृष्ण के जल विहार उत्सव का मुख्य आकर्षण मंदाकिनी नदी में जल विहार करना था। इस अवसर पर भक्तों ने नदी में स्नान किया और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना की। जल विहार के बाद, भगवान को उबटन लगाकर स्नान कराया गया, जो इस उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रक्रिया न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाती है, बल्कि भक्तों के लिए एक पवित्र अनुभव भी होती है।

शोभा यात्रा
उत्सव के दौरान शोभा यात्रा का आयोजन भी किया गया। इस यात्रा में श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण की भव्य झाँकी के साथ नगर की परिक्रमा की। शोभा यात्रा में शामिल भक्तों ने भक्ति गीत गाए और नृत्य किया, जिससे वातावरण भक्ति और उल्लास से भर गया। यह यात्रा स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रही थी।

तुलादान कार्यक्रम
श्रीकृष्ण मंडल की ओर से तुलादान कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। तुलादान एक प्राचीन परंपरा है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त अपने वजन के बराबर वस्त्र, अनाज या अन्य सामग्रियों का दान करते हैं। यह कार्यक्रम भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जिसमें वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करते हैं।

धार्मिक महत्व
जल विहार उत्सव का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को याद करते हुए भक्त इस अवसर पर अपने पापों से मुक्त होने और मोक्ष प्राप्त करने की कामना करते हैं। मंदाकिनी नदी को पवित्र मानते हुए लोग इसे स्नान करने के लिए विशेष रूप से चुनते हैं, क्योंकि इसे धार्मिक ग्रंथों में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

सांस्कृतिक समागम
इस उत्सव में केवल धार्मिक गतिविधियाँ ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। स्थानीय कलाकारों ने नृत्य, संगीत और नाटक प्रस्तुत किए, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले थे। यह सांस्कृतिक समागम न केवल स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित करता है, बल्कि युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक मंच भी प्रदान करता है।

निष्कर्ष
भगवान श्रीकृष्ण के जल विहार उत्सव ने चित्रकूट में एक बार फिर भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल धार्मिक आस्था को बल मिलता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे की भावना भी बढ़ती है। भक्तों की भारी संख्या ने इस उत्सव को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सभी ने मिलकर इस पावन अवसर को यादगार बना दिया।