ईद

in #rajnitik2 years ago

भई त्योहार को त्योहार की तरह मनाएँ। उसके बहाने अपनी हसरतों को पूरा करने के जुगाड़ न तलाशें। ये शायर और कवि लोग बड़े होशियार होते हैं। ये हर समय मौके की तलाश में रहते हैं। भाई लोग मौका भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। ये विशुद्ध प्रेम की कविता को भी आध्यात्मिक बताकर अपना मैसेज कन्वे करके साफ निकल जाते हैं। ये अपनी मुहब्बत को अफवाह की गति से स्पीड पकड़ते हुए देखना चाहते हैं। अब देखिए न ये दिलावर अली आज़र साहब ईद पर भी अपनी फ़ितरत से ना चूके। वे बहुत दिन से ताड़े बैठे थे कि इस त्योहार को कैसे भी हो सफल बना जाना है। अपनी तमन्ना को उन्होंने कुछ यूँ अल्फ़ाज़ दिए- 


"उससे मिलना तो उसे ईद-मुबारक कहना,

ये भी कहना कि मिरी ईद मुबारक कर दे।"


तो भाई जान तो हम भी गए आपको, पर ख़ैर जाने दो, हम किसी की भांजी नहीं मारते। हम आपकी तरह तंगदिल और संगदिल नहीं। सो आपको भी इस प्यारी हरकत के बावजूद ईद की बधाई और मुबारकबाद, बाकी तो सबको ईद की मुबारकबाद हैइये है। ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!!


- संजीव शुक्ल