स्मृति ईरानी के गुस्से के पीछे की वजह

in #rajnitik2 years ago

मान लिया कि अधीर रंजन चौधरी ने जानबूझकर राष्ट्रपत्नी शब्द इस्तेमाल किया लेकिन कम से कम उन्होंने मामले की गंभीरता को समझ सबके सामने माफी की बात तो कही और माफी मांगी भी। उन्होंने राष्ट्रपति से मिलकर उनसे माफ़ी मांगने और अपने शब्दों पर खेद जताने की पेशकश भी की। अगर हम अधीर रंजन की अपनी सफाई में दी गयी दलील कि उनके दूसरे प्रांत की भाषा से ताल्लुक रखने के कारण ऐसा हो गया और यह महज जुबान की फिसलन है, को दरकिनार भी कर दें तो भी क्या उनके माफी मांगने के बाद विवाद की कुछ गुंजाइश बचती है। हालांकि कांग्रेस इन महाशय को दी गयी जिम्मेदारी वापस ले लें, तो ज्यादा अच्छा है।


 खैर, जिन स्मृति ईरानी को इस घटना से सर्वाधिक दुख पहुंचा है क्या उन्हें पूर्व में कभी नारी जाति को लेकर इस कदर संवेदनशील होते देखा गया है। क्या इससे पूर्व वे नारी जाति के अपमान को लेकर कभी इतनी आंदोलित हुईं। जिस तरह वे सोनिया को टारगेट कर रहीं थीं उससे उनकी कुंठा को समझा जा सकता है।

उनकी यह भड़ास उस झुंझलाहट का नतीजा है जो कुछ दिन पूर्व उनके द्वारा गोवा में चलाए जा रहे बार का गलत तरीके से लिये गए लाइसेंस के पकड़ में आने से उपजी है जिसे विपक्ष के नाते कांग्रेस ने उछाला है।

अगर ईरानी इतनी ही नारी अस्मिता की पैरोकार हैं तो उनका नारी मन तब क्यों नहीं विचलित हुआ जब उनकी ही पार्टी के सर्वेसर्वा ने सोनिया गांधी को कांग्रेस की विधवा, जर्सी गाय, राहुल को हाईब्रिड बछड़ा, और सुनन्दा पुष्कर को पचास करोड़ की गर्लफ्रैंड बताया था। उन्हीं की पार्टी के स्वनामधन्य नेताओं द्वारा सोनिया को बार-बाला, वेश्या और न जाने क्या-क्या कहा गया। 

"दीदी ओ दीदी" क्या नारी के सम्मान का प्रतीक था। "गांधी चतुर बनिया थे" क्या सौम्यता की परिचायक शब्दावली है?

''वे (मनमोहन सिंह) रात के चौकीदार हैं, जो गांधी परिवार के लिए गद्दी गर्म रख रहें हैं," क्या इस जुमले के लिए किसी ने माफी की पेशकश की?

क्या कभी उन्होंने चिन्मयानंद को कुछ कहा? स्मृति में तो नहीं आता। क्या स्वामी जी नारी अस्मिता के रक्षक के तौर पर चर्चित हुए थे? क्या कभी स्मृति ईरानी अपनी पार्टी के सेंगर के खिलाफ इस तरह आंदोलित हुई थीं? 

 सोनिया से माफी मांगने की बात करने वाली स्मृति क्या कभी अपनी डिग्री पर दिए गए झूठे बयान के लिए माफी मांगी है? क्या सोनिया पर की गई अभद्र टीप्पणियों के लिए भी वे जिम्मेदार व्यक्तियों से माफी मांगने की हिम्मत दिखाएंगी? 

इसलिए नारी के सम्मान की दुहाई न दीजिए। आदर्शवाद का भारी लबादा उतारकर खुद को हल्का रखिये-  संजीव शुक्ल