डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पद चिन्हों पर चलकर एकजुट होकर पार्टी के लिए करना चाहिए कार्य

in #rajniti2 years ago

पोरसा।भारतीय जनता पार्टी नगर मंडल पोरसा के द्वारा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि नगर के प्रत्येक वार्ड में मनाई गई कार्यक्रम में मंडल अध्यक्ष राम कुमार गुप्ता ने कहा की डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे उनका जन्म 6 जुलाई 1901 कोलकाता
मृत्यु : 23 जून 1953, को श्रीनगर में हुई
भारतीय जनसंघ दल में काम किया उनकी
पत्नी का नाम सुधा देवी (विवा. 1922–1933)
शिक्षा: प्रेसीडेंसी युनिवर्सिटी (1921), कोलकाता विद्यापीठ
माता-पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी, जोगामाया देवी मुखर्जी था
डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे। उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने ख्यात शिक्षाविद् थे।
डॉ. मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उसी वर्ष आपका विवाह भी सुधादेवी से हुआ। उनको दो पुत्र और दो पुत्रियां हुईं। वे 24 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बने। उनका ध्यान गणित की ओर विशेष था। इसके अध्ययन के लिए वे विदेश गए तथा वहां पर लंदन मैथेमेटिकल सोसायटी ने उनको सम्मानित सदस्य बनाया। वहां से लौटने के बाद डॉ. मुखर्जी ने वकालत तथा विश्वविद्यालय की सेवा में कार्यरत हो गए।
डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कर्मक्षेत्र के रूप में 1939 से राजनीति में भाग लिया और आजीवन इसी में लगे रहे। उन्होंने गांधीजी व कांग्रेस की नीति का विरोध किया, जिससे हिन्दुओं को हानि उठानी पड़ी थी।
अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में एक गैर-कांग्रेसी मंत्री के रूप में उन्होंने वित्त मंत्रालय का काम संभाला। डॉ. मुखर्जी ने चितरंजन में रेल इंजन का कारखाना, विशाखापट्टनम में जहाज बनाने का कारखाना एवं बिहार में खाद का कारखाने स्थापित करवाए। उनके सहयोग से ही हैदराबाद निजाम को भारत में विलीन होना पड़ा।
अटलबिहारी वाजपेयी (तत्कालीन विदेश मंत्री), वैद्य गुरुदत्त, डॉ. बर्मन और टेकचंद आदि को लेकर आपने 8 मई 1953 को जम्मू के लिए कूच किया। सीमा प्रवेश के बाद उनको जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। 40 दिन तक डॉ. मुखर्जी जेल में बंद रहे और 23 जून 1953 को जेल में उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई।
अभी केवल जीवन के आधे ही क्षण व्यतीत हो पाए थे कि हमारी भारतीय संस्कृति के नक्षत्र अखिल भारतीय जनसंघ के संस्थापक तथा राजनीति व शिक्षा के क्षेत्र में सुविख्यात डॉ. मुखर्जी की 23 जून, 1953 को मृत्यु की घोषणा की गईं। बंगाल ने कितने ही क्रांतिकारियों को जन्म दिया है, उनमें से एक महान क्रांतिकारी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी थे। बंगभूमि से पैदा डॉ. मुखर्जी ने अपनी प्रतिभा से समाज को चमत्कृत कर दिया था।
कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य रूप से भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष राम कुमार गुप्ता साहिब सिंह तोमर जिला उपाध्यक्ष श्री भगवान गुप्ता गोपाल गुप्ता मोनू बंसल भानु शर्मा दीपू शर्मा मोहन गुप्ता अनिल तोमर जय सिंह तोमर रविंद्र तोमर मनोज नामदेव संजय बाल्मिक अनुराग गुप्ता सुरेंद्र जाटव आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे

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