राजस्थान: अवैध खनन के विरोध में आत्मदाह करने वाले संत विजयदास का निधन

in #rajasthan2 years ago

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राजस्थान के भरतपुर में अवैध खनन के विरोध में ख़ुद को आग लगाने वाले संत विजयदास का बीती देर रात निधन हो गया है.

विजयदास ने 20 जुलाई को भरतपुर के डीग तहसील के पसोपा गांव में ख़ुद को आग लगाई थी. उनका दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था.

बीते डेढ़ साल से साधु संत, पसोपा गांव में कनकांचन और आदिबद्री पहाड़ पर अवैध खनन का विरोध कर रहे थे. धार्मिक आस्था से जुड़े लोग इस पहाड़ पर चौरासी कोस की परिक्रमा करने के लिए आते हैं.

साधु संतों मांग कर रहे थे कि इन पहाड़ों पर खनन बंद किया जाए और वन क्षेत्र घोषित किया जाए.

खुद को आग लगाने के बाद संत विजयदास का शरीर 85 फीसदी तक झुलस गया था. ऐसी स्थिति में पहले उन्हें जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती किया गया था जिसके बाद 21 जुलाई को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जयपुर से दिल्ली रेफर किया गया था.

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तीन बजे होगा अंतिम संस्कार

उनके शव का अंतिम संस्कार आज तीन बजे बरसाना में होगा. बड़ी संख्या में साधु संत शामिल होंगे. संत के निधन के को देखते हुए प्रशासन को डर है कि साधु संतु प्रदर्शन कर सकते हैं.

भरतपुर कलेक्टर आलोक रंजन ने बीबीसी से फ़ोन पर बताया है कि, "अंतिम संस्कार बरसाना में होगा, पसोपा गांव से भी लोग और साधु संत अंतिम दर्शन के लिए जाएंगे, प्रशासन पूरी तरह सतर्क है."

दिल्ली में इलाज के दौरान भी राज्य से अधिकारियों को सफदरजंग अस्पताल में तैनात किया गया था.

आत्मदाह के बाद सरकार से साथ बनी सहमति

संत विजयदास के आत्मदाह करने के बाद राज्य सरकार के प्रतिनिधि कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के साथ साधु संतों की सहमति बन गई है जिसके बाद धरना समाप्त कर दिया गया है.

साधु संतों की मांग पर राज्य सरकार की ओर से अगले पंद्रह दिन में कनकांचन और आदिबद्री पहाड़ को वन क्षेत्र घोषित करने पर सहमति बनी है.

इसके अलावा सरकार ने दो महीने में कनकांचन की 34 और आदिबद्री पहाड़ से 12 खदानों को शिफ्ट करनी की बात भी कही है.

वसुंधरा राजे ने क्या कहा

संत विजयदास के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने संत ने कहा, "अवैध खनन को रोकने के लिए संतों को आंदोलन करना पड़ा. यहाँ तक कि एक संत को आत्मदाह के लिए मजबूर होना पड़ा."

"अगर राज्य सरकार कहाँ-कहाँ अवैध खनन हो रहा है उसे सूचिबद्ध कर बंद करवाती तो ये स्थिति नहीं होती. राज्य सरकार नक़्शों के आधार पर अवैध खनन को चिन्हित कर इसे सख़्ती के साथ रोके."