राजस्थानियों की मायड़ भाषा राजस्थानी को आज तक भी संवैधानिक मान्यता नहीं -देवल

in #raipur7 months ago (edited)

राजस्थानियों की मायड़ भाषा राजस्थानी को आज तक भी संवैधानिक मान्यता नहीं -उपेक्षा की शिकार।

देश आजाद होने के बाद से संवैधानिक मान्यता की मांग उठाई जा रही है ।
्विश्व मायड भाषा दिवस आज।
आखिर कब होगा सपना साकार ।

विश्व मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाता है ।
राजस्थानी भाषा एवं साहित्य कला प्रेमी देवी सिंह चारण कूपडावास ने बताया की राजस्थानी भाषा मायड़ भाषा को संवैधानिक मान्यता न होना राजस्थानियों के लिए चिंता का विषय है ।
मायड़ मातृभाषा वह भाषा होती हे । जो बच्चा अपनी मां से सीखता है ।
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति जोधपुर जिला पाटवी देवी सिंह चारण कूपडावास ने बताया कि त्रिभाषा सूत्र से व्यक्ति का संपूर्ण विकास होता है ।
महात्मा गांधी ने कहा था की छोटे बच्चों को बाल्य अवस्था में मायड़ भाषा में प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए । चारण ने बताया कि त्री भाषा सूत्र लागू का अर्थ होता है कि मायड़ भाषा राजस्थानी व हिंदी अंग्रेजी भी व्यक्ति को सीखनी चाहिए राजस्थानीयो की मातृभाषा राजस्थानी है।

चारण ने बताया की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए ताकि बच्चा जल्दी सीख सके लेकिन राजस्थानियों की मायड भाषा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने के कारण आज स्कूलों में राजस्थानी भाषा नहीं पढ़ाई जा रही है ।
राज्य सरकार को चाहिए कि प्राथमिक शिक्षा मायड़ भाषा राजस्थानी को कक्षा 1 से 10 तक एक विषय राजस्थानी पढ़ाई की जानी चाहिए ।ताकि बच्चे अपने मातृभाषा से जुड़े रहे ।
लंबे समय से राजस्थानी भाषा की उपेक्षा की जा रही है ।जिससे राजस्थानी बच्चे अपनी मातृभाषा से दूर होते जा रहे ।
अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं ।आज राजस्थानी ग्रंथ पोती खाना में पड़े पड़े सड़ रहे हैं।
राजस्थानी भाषा एवं साहित्य को बचाने की आवश्यकता है ।
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राजस्थानी भाषा एक हे मेवाड़ी मालवी हाडोती ढूंढाड़ी यह सभी बोलियों है चारण ने भारत सरकार व राज्य सरकार से राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कर संवैधानिक मान्यता दिलवाने की मांग की।

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