अपने गुरुओं का सदैव करना चाहिये सम्मान - पूनम सिंह
रायबरेली । किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है । आप लोग अपने शिक्षकों का हमेशा सम्मान करें । उनके दिखाए रास्ते पर चलें यही मेरी आपसे उम्मीद है । यह बात कमला फाउंडेशन की अध्यक्ष पूनम सिंह ने रायबरेली कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बच्चों व स्कूली स्टाफ को संबोधित करते हुए कही । कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पूनम सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तस्वीर पर माला पहनाकर सम्मान किया व कार्यक्रम की शुरुआत की । इस दौरान पूनम सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज शिक्षक दिवस है । हमारे देश में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है । उन्होंने कहा कि बच्चो राधाकृष्णन जी राष्ट्रपति बनने से पहले एक महान शिक्षक भी थे । उन्होंने 40 साल तक अपने छात्रों को पढ़ाया था । वे दर्शनशास्त्र के अच्छे टीचर थे । उन्होंने हमारी भारतीय संस्कृति , परंपरा व दर्शन शास्त्र का गहराई से अध्ययन किया था । प्यारे बच्चों शिक्षा को लेकर हमारे राष्ट्रपति जी के विचार बेहद प्रगतिशील थे । वे हमेशा अपने छात्रों के हितों के लिये सोचते थे । वहीं उनके छात्र भी उन्हें बहुत सम्मान व प्रेम देते थे । राष्ट्रपति बनने के बाद उनके छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई थी । इस पर राधाकृष्णन जी ने कहा कि मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय आप अगर इस दिन पूरे देशभर के शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस के रूप में मनाएं तो मुझे गर्व होगा । इसी तरह हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई । उन्होंने बहुत सुंदर विचार अपने छात्रों को दिए dhe इस मौके पर स्कूल के बच्चों ने डांस करके आये हुए मेहमानों को मंत्रमुग्ध किया । वहीं स्कूल के स्टाफ को पूनम सिंह ने पुरस्कार भी वितरित किये । इस मौके पर स्कूल प्रबंधक जाकिर खान , डॉ मुर्तजा सर , डॉ अफसर अली , डॉ अमन , डॉ अमृता , फार्मासिस्ट सौरभ , प्रिंसिपल रेहाना , ज्योति , अमना , जेनाब , खुशनुमा , शुगूफी , मिन्नत , अदृष्का , सारिका , फूल जहाँ , निदा मेडम , मोहम्मद आरिफ , मोहम्मद रिजवान , मेहजबीन , मेहजबीन बानो , ममता , नीलम पाल , प्रिंसी सिंह , सुलभ सिंह आदि मौजूद रहे
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सभी साथी अपनी id की पहली पोस्ट को देखे लाइक कर दिया हु
लाइक करने के लिए थैंक्स🙏
सर मेरी आज की खबरे लाइक करने की कृपा करें जी