डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का कॉलम:दुनिया की आधी उपजाऊ मिट्‌टी खत्म

in #punjab2 years ago

कबीर ने मिट्टी को लेकर जो बात कही थी वो आज पूरी तरह खरी उतर रही है। कबीर ने कहा था- ‘माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोहे, एक दिन ऐसा आएगा मैं रौदूंगी तोय।’ आज मिट्टी को लेकर विश्व भर में नए सिरे से चर्चाएं हो रही हैं। और इसी से संदर्भित 1 से 5 अगस्त तक फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने वैज्ञानिक संगठनों से पांच दिवसीय बातचीत की पहल की है। यह प्रयास इसलिए हो रहे हैं क्योंकि मिट्टी का लगातार क्षरण हो रहा है, साथ में इसकी गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हुए हैं।

जब से उद्योग क्रांति शुरू हुई, हमने आधी से ज्यादा उपजाऊ मिट्टी खो दी। अब आप भरी बरसात में ही देखें कोई भी नदी-नाला ऐसा नहीं है, जो पीला ना हो। मतलब अमूल्य मिट्टी को हम सीधे समुद्र में बहा रहे हैं। यह वही मिट्टी है, जिससे हरित क्रांति आई। यह हमारे पेट-पानी से जुड़ी हुई है। मिट्टी के बदलते हालात के लिए भी हम ही दोषी हैं।