इंतकाल बदलकर बेच दी 558 एकड़ पंचायती जमीन

in #punjab2 years ago

Sartajsingh:-10-bookies-arrest_1643033877.jpegपंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने मोहाली के गांव माजरियां की लगभग 558 एकड़ पंचायती जमीन के इंतकाल में छेड़छाड़ कर उसे बेचने के आरोप में पंचकूला के दो निवासियों को गिरफ्तार किया है। विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि राजस्व रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ संबंधी शिकायत साल 2019 में दर्ज थी। जांच में पता चला कि आरोपियों ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर पंचायती जमीन के इंतकाल संबंधी राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर पहले जमीन अपने नाम की और उसके बाद अन्य लोगों को बेच दिया।

जांच के बाद सब तहसील माजरी के राजस्व विभाग के अधिकारियों और निजी व्यक्तियों/प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया हुआ है। इस केस में कुछ राजस्व अधिकारियों और निजी व्यक्तियों/प्रॉपर्टी डीलरों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। गुरुवार को गिरफ्तार पंचकूला के गांव कोना निवासी प्रवीन कुमार और वीर सिंह को अदालत में पेश किया गया। अदालत ने आरोपियों को चार दिन के रिमांड पर भेज दिया है।

धोखे से बदला जमीन का इंतकाल
विजिलेंस ब्यूरो के मुताबिक आरोपियों ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके धोखे से इस गांव की जमीन का इंतकाल बदल दिया। इसमें 14 व्यक्तियों को गांव माजरियां की 558 एकड़ (4464 कनाल) जमीन का मालिक दिखा दिया गया। जांच में यह बात भी सामने आई कि इन 14 व्यक्तियों में से 12 फर्जी थे। वे न तो उपरोक्त जमीन के मालिक थे और न ही गांव माजरियां के निवासी थे और न ही उपरोक्त जमीन के काश्तकार थे।

बाकी दो व्यक्ति गांव माजरियां के निवासी हैं और थोड़ी जमीन के मालिक हैं लेकिन आरोपी राजस्व अधिकारियों की तरफ से उनकी जमीन में विस्तार कर दिया गया। इसके अलावा 18 जून 2014 और 19 जून 2014 को लगभग 578 एकड़ (4624 कनाल) जमीन धोखे से ऐसे व्यक्तियों के नाम ट्रांसफर की गई जो वास्तव में जमीन के मालिक नहीं थे।

ऐसे की पंचायती जमीन की धोखाधड़ी
मामले की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि आरोपी वीर सिंह निवासी गांव कोना जिला पंचकूला ने गांव मजारियां की 17 एकड़ (136 कनाल) जमीन धोखे से अपने नाम करवा ली और इस जमीन को आगे जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) के जरिये अलग-अलग व्यक्तियों को बेच दिया। इसी तरह दूसरे आरोपी प्रवीन कुमार निवासी गांव कोना जिला पंचकूला ने भी 80 कनाल जमीन की जीपीए फर्जी व्यक्ति कमलजीत सिंह पुत्र अमरीक सिंह के नाम पर बनाई, जिसका अभी तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा और इसे आगे अलग-अलग व्यक्तियों को बेच दिया।