महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन सिर्फ ट्रेलर है
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र में पिछले दस दिनों से चल रही राजनीतिक उठा पटक गुरुवार शाम को शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद तथा देवेन्द्र फडनवीस के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ खत्म हो गई। उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने के चौबीस घंटे के भीतर शिंदे और फडणवीस ने यहां राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित एक सादे समारोह में शपथ ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिंदे और फडणवीस को मराठी में शपथ दिलाई। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने कैसे एक तीर से पांच निशाने साधे हैं, आइए जानते हैं कैसे।
एकनाथ शिंदे के जरिए उद्धव की शिवसेना को खत्म करना
महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना, दोनों ही हिंदूवादी राजनीति के कॉम्पिटिटर हैं। दोनों ही जानते हैं कि किसी एक के बढऩे का मतलब दूसरे का कम होना है। चूंकि शिवसेना को खत्म किए बिना भाजपा आगे नहीं बढ़ सकती लेकिन शिवसेना खत्म हो जाए और उसका ब्लेम बी.जे.पी. के सिर पर न आए, इसलिए शिंदे को सी.एम. बनाया गया। इसके अलावा शिंदे को सी.एम. बनाकर भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि उन्हीं का खेमा असली शिवसेना है।
पूरे सियासी ड्रामे में शिंदे को आगे कर खुद का बचाव
भाजपा ठाकरे की विरासत वाली शिवसेना को समेटना तो चाहती है लेकिन वह यह भी नहीं चाहती थी कि महाराष्ट्र की जनता के सामने यह ठीकरा उसके सिर फूटे। यही वजह है कि इस बगावत में सबसे अहम किरदार निभाने के बावजूद भाजपा खुद सामने नहीं आई। इसके साथ ही शिंदे को सी.एम. बनाने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि बी.जे.पी. अभी टैस्ट एंड ट्रायल करना चाहती है। वह परखना चाहती है कि बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे की कुर्सी और पार्टी छीनने पर महाराष्ट्र की जनता कैसे रिएक्ट करती है।