गृहस्थ आश्रम में रहते परमात्मा से जीवन जोड़ने पर भटकाव नहीं पड़ता...

in #punjab2 years ago

बलिया। नगर के जनेश्वर मिश्र सेतु के समीप चल रहे चतुर्मास महायज्ञ में संत जीयर स्वामी ने कहा कि सबसे बड़ा दुर्भागी व्यक्ति वह है, जो दुनिया की हर सत्ता को मानता है, लेकिन परमात्मा की सत्ता को चुनौती देता है। वह सबसे बड़ा दुर्भागी व्यक्ति है। वह सबकुछ मानता है। भोजन मानता है, धन, संपत्ति, पद, प्रतिष्ठा सब कुछ मानेंगा। लेकिन चुनौती देता है, तो भगवान की सत्ता को देता है। वह दुनिया का सबसे बड़ा दुर्भाग्यशाली है। हमारे किए हुए कर्मों का फल है सुख तथा दुःख। ऐसा जानकर अपने आप में उस ईश्वर की स्थिति को स्थापित करें। मोक्ष की कामना करें।
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जिस दिन से जो बना, उसी दिन से बिगडना शुरू..
नियमाण मनुष्य का धर्म क्या है ? संसार मरणशील है, नश्वर है, सबका एक न एक दिन क्षय, विनाश, मरना एक न एक दिन लगा ही हुआ है। जो जिस दिन से बना उसी दिन से उसका बिगडना शुरू हो गया। मान लीजिए कि आप मकान बना लिए, मकान में ईंट, सीमेंट, बालू लग गया, सीमेन्ट की आयु 100 वर्ष है, लेकिन जिस दिन से लग गया उसी दिन से उसकी आयु कम होने लगती है।
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प्रलय पांच प्रकार का होता है..
पहला नित प्रलय है। इसका मतलब रोज दुनिया में जो परिवर्तन होता है यही नित प्रलय है। अभी जो है, इसके बाद नहीं होगा। एक घंटा पहले जो था, अभी नही है। एक नैमित्तिक प्रलय होता है। इसका मतलब किसी के निमित्त जो प्रलय होता है, मतलब कहते हैं कि आपके चलते मेरा खेत बर्बाद हो गया। भैंसा ने खेत बर्बाद कर दिया। खेत की बर्बादी में भैंसा का हाथ है। यह है नैमित्तिक प्रलय। जब ब्रम्हा जी शयन करते हैं, तो नैमित्तिक प्रलय होता है।
तीसरा आत्यांतिक प्रलय होता है। इसमें प्रकृति हर क्षण, हर स्थिति को अपने अनुसार नियंत्रित करती है। जैसे भूकंप, सुनामी इत्यादि। चौथा प्रलय है। 54TLbcUcnRm4Bw8fmw3Y3jKxZNqRKMeUkC1sseZ85krudzZYE2udQZxoW4fLaQ9kFNvaKvwG9Bi5ac75UAHTy2krgHmvAxCSVmtg2ydFiEgPtHQ9s8SF3g6Bv9T9n7sscr2mTpcKp.jpeg