बीडीओ ने प्रदर्शनकारियों को दफ्तर से बाहर नहीं निकाला
सीतापुर 30 अगस्त: (डेस्क)पिसावां (सीतापुर)। आंगनबाड़ी केंद्रों के पुष्टाहार का वितरण कर रहीं स्वयं सहायता की महिलाएं बृहस्पतिवार को मानदेय और भाड़े की मांग व एडीओ आईएसबी को हटाने की मांग को लेकर बीडीओ कार्यालय पहुंची। यहां महिलाओं ने नारेबाजी करते हुए आधा घंटे तक प्रदर्शन किया, लेकिन बीडीओ अमित यादव उनकी समस्याएं सुनने के लिए दफ्तर से बाहर नहीं निकले। इससे महिलाओं का आक्रोश फूट पड़ा और वे सीएम दरबार के लिए चल पड़ीं।
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महिलाओं की मांगें और आरोप
स्वयं सहायता समूह की सदस्य नींबू कली ने बताया कि 2020 के कोरोना काल से विकास खंड के 61 समूह आंगनबाड़ी के पुष्टाहार का वितरण कर रहे हैं। जिसका भाड़ा व मानदेय शासन द्वारा निर्धारित है। चार वर्ष बीतने के बाद महज छह माह का मानदेय व 18 माह का भाड़ा दिया गया है। शेष भाड़े व मानदेय की मांग समूहों की ओर से काफी लंबे समय से की जा रही है। इसके लिए सीएम, डीएम, सीडीओ को कई बार पत्राचार किया गया।
महिलाओं ने आरोप लगाया कि बीडीओ व एडीओ आईएसबी की मिलीभगत से समूहों को पुराना भुगतान न कराने के बजाय नए समूहों को पुष्टाहार का वितरण कार्य देने की योजना बनाई जा रही है। वहीं, एडीओ आईएसबी शिव प्रकाश दुबे पर अभद्र भाषा का प्रयोग करने का भी आरोप लगाया गया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और आश्वासन
महिलाओं के लखनऊ कूच करने की भनक लगते ही उच्चाधिकारियों की फटकार पर बीडीओ अमित यादव और एडीओ पंचायत इकराम अली व थाना प्रभारी वीरेंद्र सिंह तोमर ने पुलिस बल के साथ महिलाओं को महमदापुर में रोका। उनकी समस्याएं सुनकर समाधान का आश्वासन दिया, जिसके बाद महिलाओं ने ब्लाॅक वापस आकर बीडीओ को मांगपत्र सौंपा।
बीडीओ अमित यादव ने बताया कि बकाया मानदेय व भाड़े के भुगतान को लेकर उच्चधिकारियों से बात हो गई है। एक माह में भुगतान हो जाएगा। समूह की समस्याएं एडीओ पंचायत देखेंगे। समस्याओं को लेकर पांच सितंबर को बैठक की जाएगी। एडीओ आईएसबी को हटाने व नए समूहों को कार्य न देने के आश्वासन पर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं शांत हुईं।
समस्या का जायजा और समाधान की उम्मीद
महिलाओं की मांगों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। चार वर्ष बीत जाने के बाद भी मानदेय और भाड़े का पूरा भुगतान न होना उनके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। एक माह में भुगतान होने और एडीओ आईएसबी को हटाने के आश्वासन से महिलाओं को राहत मिली है।
हालांकि, यह देखना होगा कि क्या प्रशासन अपने वादों पर खरा उतरता है और महिलाओं की मांगों पर कार्रवाई करता है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो महिलाएं फिर से आंदोलन करने को मजबूर हो सकती हैं। प्रशासन को इस मामले में जल्द से जल्द निर्णय लेकर महिलाओं की मुश्किलों को दूर करना चाहिए।