42 आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे के लिए लगेंगे झूले

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हमीरपुर 19 सितंबर:(डेस्क)हमीरपुर जिले में परिषदीय विद्यालयों के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए झूले लगाने की योजना बनाई गई है। इस पहल का उद्देश्य बच्चों के खेल-कूद और मानसिक विकास को बढ़ावा देना है। इसके लिए 42 केंद्रों का चयन किया गया है, जहां पर झूलों की स्थापना की जाएगी।

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झूलों की विशेषताएँ
इन झूलों की लागत 50,000 रुपये प्रति केंद्र निर्धारित की गई है। प्रत्येक केंद्र पर पांच प्रकार के झूले लगाए जाएंगे, जो बच्चों के लिए न केवल मनोरंजन का साधन होंगे, बल्कि उनकी शारीरिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देंगे। यह झूले बच्चों को खेलने के साथ-साथ सामाजिक कौशल विकसित करने में भी मदद करेंगे, क्योंकि वे एक साथ खेलकर आपस में संवाद स्थापित कर सकेंगे।

योजना का उद्देश्य
यह योजना बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। खेल कूद से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे टीम वर्क और सहयोग की भावना को समझते हैं। झूलों के माध्यम से बच्चे न केवल मज़े करेंगे, बल्कि उनकी मोटर स्किल्स और संतुलन भी बेहतर होगा।

चयनित केंद्रों का विवरण
चुने गए 42 आंगनबाड़ी केंद्र विभिन्न क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां बच्चों की संख्या अधिक है और जहां खेल के साधनों की कमी महसूस की जा रही थी। इन केंद्रों पर झूलों की स्थापना से न केवल बच्चों का खेलना आसान होगा, बल्कि उनके माता-पिता भी इस पहल का स्वागत करेंगे।

प्रशासनिक पहल
इस योजना को लागू करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने आवश्यक कदम उठाए हैं। बीएसए उपेन्द्र गुप्ता ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार यह योजना बनाई गई है और जल्द ही झूलों की खरीदारी और स्थापना प्रक्रिया शुरू होगी।

समुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय समुदाय इस पहल का स्वागत कर रहा है। माता-पिता का कहना है कि बच्चों के लिए खेलने के लिए सुरक्षित स्थान होना बहुत जरूरी है। झूलों की स्थापना से न केवल बच्चों को खेलने का मौका मिलेगा, बल्कि वे अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगा सकेंगे।

भविष्य की योजनाएँ
आंगनबाड़ी केंद्रों में झूलों की स्थापना केवल शुरुआत है। भविष्य में, अन्य खेल उपकरण जैसे स्लाइड, क्लाइम्बिंग फ्रेम आदि लगाने की योजना बनाई जा सकती है ताकि बच्चों को विविध प्रकार के खेल गतिविधियों का अनुभव मिल सके।

निष्कर्ष
हमीरपुर जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों में झूले लगाने की यह योजना बच्चों के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इससे न केवल बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास होगा, बल्कि वे एक स्वस्थ और खुशहाल बचपन का अनुभव भी कर सकेंगे। स्थानीय प्रशासन और समुदाय को मिलकर इस पहल को सफल बनाना होगा ताकि आने वाले समय में सभी बच्चे इसका लाभ उठा सकें।