शान के साथ निकला जुलूस-ए-मोहम्म्दी, जश्न में डूबे लोग

बाराबंकी 17 सितम्बरः (डेस्क)बाराबंकी में ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर जुलूस-ए-मोहम्मदी का आयोजन सोमवार को धूमधाम से किया गया। इस जुलूस ने पूरे शहर और गांवों में जश्न का माहौल बना दिया। जुलूस के दौरान हर जगह "रसूल की आमद मरहबा, हुजूर की आमद मरहबा" की गूंज सुनाई दी, जिससे धार्मिक उत्साह और श्रद्धा का वातावरण बना।

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जुलूस की तैयारी
जुलूस-ए-मोहम्मदी की तैयारियों को लेकर कई बैठकें आयोजित की गई थीं। इन बैठकों में विभिन्न अंजुमनों के सदस्यों ने भाग लिया और जुलूस को सफल बनाने के लिए योजनाएं बनाई। मदरसा गोसिया में हुई एक बैठक में बज्में रहमत के सदस्यों ने जुलूस की रूपरेखा पर चर्चा की और सभी को इस धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

जुलूस का मार्ग
जुलूस का आगाज सुबह 10:30 बजे हुआ और यह विभिन्न मार्गों से होते हुए शहर के प्रमुख स्थानों से गुजरा। इस दौरान, अंजुमनों ने जुलूस के झंडे बड़े श्रद्धा और सम्मान के साथ उठाए। लोगों ने अपने घरों और दुकानों को सजाया, जिससे पूरे क्षेत्र में एक विशेष धार्मिक माहौल बना।

धार्मिक गीत और नातें
जुलूस के दौरान, उपस्थित लोगों ने नातें गाईं और धार्मिक गीत गाए। "रसूल की आमद मरहबा" जैसे गीतों ने जुलूस को एक भव्यता प्रदान की। बच्चे, महिलाएं और पुरुष सभी इस धार्मिक उत्सव में शामिल हुए, जिससे यह आयोजन विशेष बन गया।

सुरक्षा व्यवस्था
जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा गया था। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा बलों को तैनात किया था ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। पुलिस ने जुलूस के मार्ग पर सुरक्षा बैरिकेड्स लगाए थे, जिससे लोगों को सुरक्षित रूप से जुलूस देखने का अवसर मिला।

सामाजिक एकता का संदेश
इस आयोजन ने बाराबंकी में सामाजिक एकता का भी संदेश दिया। विभिन्न समुदायों के लोग इस जुलूस में शामिल होकर आपसी भाईचारे और सौहार्द का परिचय देते नजर आए। यह एकता और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक था, जो समाज में सकारात्मकता फैलाता है।

अंत में
ईद मिलादुन्नबी का यह जुलूस-ए-मोहम्मदी बाराबंकी में न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि यह सामाजिक समरसता और एकता का भी संदेश देने वाला था। इस प्रकार के आयोजनों से लोगों में आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है, जो समाज को मजबूत बनाता है।

इस तरह, बाराबंकी में ईद मिलादुन्नबी का जश्न पूरी शान-ओ-शौकत से मनाया गया, जिसमें हर किसी ने अपनी भागीदारी निभाई और इस धार्मिक अवसर को यादगार बनाया।