स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस

in #prime7 months ago

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  • स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस
  • जच्चा बच्चा की सुरक्षा के लिए प्रसव पूर्व जांच जरूरी
  • जिले के हर सीएचसी में महीने की 9 तारीख को मनाया जा रहा मातृत्व दिवस

मंडला. स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रति माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के अंतर्गत गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच कराई जा रही है। जिससे जच्चा, बच्चा स्वस्थ रहे। मातृत्व दिवस शिविर में गर्भवती महिलाओं का एचआईवी, हिमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, यूरीन प्रोटीन, यूरिन क्लॉक एवं एल्बुमिन की जांच की गई।

जानकारी अनुसार आयोजित मातृत्व दिवस शिविर में गर्भवती महिलाओं की प्रसव के पहले ही जांच के दौरान उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की पहचान हो जाती है। यदि ऐसी कोई गर्भवती महिला चिन्हित होती है तो ऐसी गर्भवती का प्रसवकाल में विशेष ध्यान रखा जाता है। सीएमएचओ डॉ. केसी सरोते ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस के तहत हर महीने की नौ तारीख को जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन किया जा रहा है।

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बताया गया कि गर्भवती महिलाओं की जांच के बाद अगर किसी भी महिलाओं में एंबनॉर्मल भू्रण या गर्भाशय में किसी प्रकार की शिकायत रहने पर उसे पहले अच्छे स्वास्थ्य सेवा के लिए बेहतर अस्पताल भेजा जाता है, जिससे प्रसव के समय महिलाओं को कोई परेशानी ना हो। मातृत्व दिवस अभियान के अंतर्गत सभी सुविधाएं सरकार द्वारा नि:शुल्क दी जा रही है।

  • गर्भवती महिलाओं की हो रही जांचे :
    बता दे कि माह की 09 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण में हीमोग्लोबिन, शुगर, एचआईवी, ब्लड प्रेशर, सिकलिंग समेत तमाम जांच नि:शुल्क की जा रही हैं। जांच के आधार पर उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की पहचान की जाती है। ऐसी गर्भवती को चिन्हित कर प्रसव के लिए उच्च स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए रेफर किया जाता है। उन्होंने बताया हर स्वास्थ्य केन्द्र पर गर्भवती के पंजीकरण का प्रावधान है।
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  • गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच जरूरी :
    बता दे कि कुछ वनांचल और दूरस्थ क्षेत्रों की गर्भवती महिलाएं पंजीकरण तो करा लेती हैं लेकिन जांच के लिए केन्द्र पर नहीं पहुंच पाती हैं, सीधे प्रसव के समय उनके परिजन उन्हें स्वास्थ्य केन्द्र लेकर आते हैं। पूर्व की बिना जांच के जोखिम की स्थिति को तय कर पाना मुश्किल हो जाता है। कई बार जोखिम की स्थिति में केन्द्र पर ही प्रसव कराना पड़ता है या उन्हें जब उच्च चिकित्सा केन्द्र ले जाने की सलाह दी जाती है तब तक जोखिम काफी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में गर्भवती के लिए बहुत घातक हो जाती है।

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  • जोखिम गर्भावस्था से बचें गर्भवती महिलाएं :
    नारायणगंंज सीएचसी प्रभारी सीबीएमओ डॉ. एएल कोल ने बताया कि उच्च जोखिम गर्भावस्था या हाई रिस्क प्रेगनेंसी उसे कहते हैं जिसमें मां और शिशु दोनों में सामान्य गर्भावस्था की तुलना में अधिक जटिलता विकसित होने की संभावना होती है। ऐसी महिलाओं को अन्य सामान्य गर्भवती के मुकाबले ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डॉ. एएल कोल ने बताया गया कि माह की प्रत्येक 09 तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों में सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। इसका लाभ सभी गर्भवती महिलाओं को लेना चाहिए। जिससे संस्थागत सुरक्षित प्रसव हो सके और जच्चा और बच्चा सुरक्षित रहे।