आइए जानते हैं सुबह से लेकर शाम तक की राष्ट्रपति मुर्मू क्या-क्या करती हैं?

in #president2 years ago

Screenshot_2022_0726_170002.jpgअमरेन्द्र सिंह चौहान
लखनऊ
द्रौपदी मुर्मू का पद भले ही आज सबसे बड़ा हो गया, लेकिन उन्होंने अपनी जड़ें कभी नहीं छोड़ी। इसका गवाह उनकी रोज की दिनचर्या है।
द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। आदिवासी समाज से उठकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने वाली मुर्मू पहली और इकलौती हैं। मुर्मू का पद भले ही आज सबसे बड़ा हो गया, लेकिन उन्होंने अपनी जड़ें कभी नहीं छोड़ी। इसका गवाह उनकी रोज की दिनचर्या है। उन्हें खाने में क्या पसंद है?
भगवान शिव की भक्त हैं राष्ट्रपति मुर्मू
सुबह उठने के बाद क्या-क्या करती हैं मुर्मू?
राष्ट्रपति मुर्मू हर रोज सुबह साढ़े तीन बजे उठ जाती हैं। इसके बाद करीब एक घंटे मॉर्निंग वॉक और योग करती हैं। फिर खुद से मंदिर साफ करती हैं। मंदिर को पानी से धुलती हैं और पूजा करती हैं। करीब एक घंटे तक रोज मुर्मू ध्यान लगाती हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू शिव की बड़ी भक्त हैं। दो बेटों और पति को खोने के बाद वह ब्रह्मकुमारी संस्थान से जुड़ गईं। संस्थान की मुखिया सुप्रिया बताती हैं, 'द्रौपदी के साथ शिव बाबा के ध्यान के लिए ट्रांसलाइट और एक छोटी सी पुस्तिका हमेशा रहती है। वह जहां-जहां रहने जाती हैं, वहां पूजा के लिए मंदिर जरूर बनाती हैं।'
सरल नाश्ता और खाना
ध्यान-पूजा पाठ करने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नाश्ता करती हैं। नाश्ते में काजू-बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स जरूर लेती हैं। इस दौरान वह अखबार और कुछ अध्यात्मिक पुस्तकें भी पढ़ती हैं। फिर अपने कार्यक्रम के हिसाब से पब्लिक की समस्याओं को दूर करने में जुट जाती हैं। मुर्मू रोज जनता से सीधे संवाद करने की कोशिश करती हैं, ताकि आम लोगों की समस्याओं को दूर किया जा सके।
मुर्मू शुद्ध शाकाहारी हैं। यहां तक की प्याज और लहसुन भी नहीं खाती हैं। उन्हें ओडिशा की मिठाई चेन्ना पोड़ा बहुत पसंद है। इसके अलावा पखाल यानी पानी का भात और सजना यानी सहजन का साग भी खाने में पसंद करती हैं। मुर्मू के घर में सहजन का पेड़ भी लगा है।
दोपहर में राष्ट्रपति का खाना भी सामान्य होता है। चावल, साग-सब्जी और रोटी खाती हैं। रात में फल के साथ हल्दी वाला दूध जरूर लेती हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15 वें राष्ट्रपति के रूप में ली शपथ
खाना बनाकर दूसरों को खिलाना भी पसंद
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को खाना बनाने का भी शौक है। उनके रिश्तेदार बताते हैं कि वह बहुत अच्छा खाना बनाती हैं। उन्होंने अपने घर में कई लोगों को खाना बनाना भी सिखाया। इसके अलावा कभी जब त्योहार और बड़े कार्यक्रम होते हैं तो मुर्मू खुद ही खाना बनाकर दूसरों को खिलाना पसंद करती हैं।
द्रौपदी मुर्मू
आदिवासी परिवार में जन्म
द्रौपदी का जन्म ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था। द्रौपदी संथाल आदिवासी जातीय समूह से संबंध रखती हैं। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू एक किसान थे। द्रौपदी के दो भाई हैं।
द्रौपदी की शादी श्यामाचरण मुर्मू से हुई। उनसे दो बेटे और दो बेटी हुई। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। द्रौपदी का बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता था। लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी विमेंस कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। बेटी को पढ़ाने के लिए द्रौपदी मुर्मू शिक्षक बन गईं।
द्रौपदी मुर्मू
कॉलेज जाने वाली गांव की पहली लड़की
मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची।

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