छतरी के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं बच्चे स्कूल की छत जर्जर
स्कूल के अंदर छतरी लेकर पढ़ाई करते हुए बच्चे, तीन छतरियों के नीचे बैठकर स्कूल में पढ़ाई, आज़ादी के 75 साल बाद ये है हमारे नौनिहालों के स्कूल का हाल, सरकारों के तमाम दावों की पोल खोलती ये तस्वीरें हैं मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले की, आदिवासी बहुल घंसौर ब्लॉक के खैरी कला प्राइमरी स्कूल में आज भी छतरी के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं बच्चे। स्कूल की छत जर्जर हो चुकी है और बारिश के दिनों में छत से लगातार पानी टपकता है इसलिए बच्चे खुद ही घर से छतरी और बरसाती लेकर आते हैं। बच्चों के परिजनों के मुताबिक़ हाल ही में छत के प्लास्टर का हिस्सा एक छात्रा के ऊपर गिर गया था इसलिए ज़्यादातर माता-पिता ब्च्चों को स्कूल भेजने से डरने लगे हैं। स्कूल के हालात इतने बदतर हैं कि हेड मास्टर साहब को भी बोलना पड़ा कि ऐसे में बच्चों को पढ़ाना बहुत जोखिम भरा है कभी भी कोई हादसा हो सकता है। स्कूल की ओर से बीआरसी कार्यालय को बारिश के पहले ही इस बात की जानकारी पहुँचा दी गई थी पर अधिकारियों के कान पर जूँ तक ना रेंगी। इस बारे में जब हमने बीआरसी साहब से बात की तो उन्होंने कहा कि मरम्मत का प्रस्ताव भेजा है फंड आने पर मरम्मत कराएँगे, इसके बाद जब हमने ज़िला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल से बात करना चाही तो उन्होंने कैमरा के सामने बोलने से मना करते हुए फ़ोन पर कहा कि आपके ज़रिए (संवाददाता) ही ये जानकारी मिली है, स्कूल और बीआरसी से मरम्मत का प्रस्ताव मँगवाते हैं, प्रस्ताव की मंज़ूरी के बाद फंड सैंक्शन होगा तब उसकी मरम्मत कराई जाएगी। ज़िम्मेदार अधिकारियों का रवैया देखकर तो यही लगता है कि इस बारिश में बच्चों को छतरी से निजात नहीं मिलने वाली, बहरहाल बड़ा सवाल है कि ऐसे कैसे पढ़ेगा इंडिया और आगे बढ़ेगा इंडिया