Dinesh Khatik: योगी सरकार की ‘बीमारी’ से केंद्रीय मंत्री भी परेशान, चेतावनी के बाद भी नहीं हुआ 'इलाज'

in #politics2 years ago

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार में किसी कीमत पर कोई भ्रष्टाचार न होने देने का सख्त आदेश दे रखा है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी खुली छूट दे रखी है कि वे कानून के मुताबिक ही काम करें और किसी कार्यकर्ता के दबाव में न आएं...

योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने अपना इस्तीफा देकर लखनऊ से दिल्ली तक सनसनी फैला दी है। भाजपा नेताओं को इस मुद्दे पर कोई सफाई देते नहीं बन रहा है। अब तक बेहद मजबूत छवि के साथ चल रही योगी सरकार के खिलाफ इसे पहला ‘खुला विद्रोह’ करार दिया जा रहा है। भाजपा इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल के मूड में है। लेकिन बताया जा रहा है कि जिन कारणों से दिनेश खटीक ने यह बगावत की है, वह बीमारी पहले भी कई बार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में लाई गई थी, लेकिन कई चेतावनी देने के बाद भी इसका कोई इलाज नहीं किया जा सका। लिहाजा नेताओं की नाराजगी बढ़ती गई और इसका नतीजा खटीक के इस्तीफे के रूप में सामने आया। सूचना है कि पार्टी की केंद्रीय इकाई में भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी के वही कारण मौजूद हैं, लेकिन यहां भी इस 'बीमारी' का कोई इलाज नहीं किया जा रहा है।

नाराजगी का असली कारण

जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने अमित शाह को भेजे अपने इस्तीफे में यूपी सरकार में उन्हें ‘गंभीरता’ से न लिए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि उनके विभाग की बैठकों-तबादलों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। उनके कहने पर एक अधिकारी का ट्रांसफर तक नहीं किया जा रहा है। ऐसे में बिना किसी काम के मंत्री रहने का कोई अर्थ नहीं है, लिहाजा वे अपने पद से त्यागपत्र देते हैं। लेकिन भाजपा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि दिनेश खटीक की नाराजगी की असली वजह कुछ और भी ह दरअसल, भाजपा की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके कई कार्यकर्ता ये शिकायत करने लगे हैं कि अपनी सरकार में ही उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है। उनके कहने से किसी नागरिक को किसी केंद्रीय-राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ तक नहीं दिया जाता। जब वे किसी समस्या पर कोई कार्रवाई कराना चाहते हैं, या कोई तबादला कराना चाहते हैं तो उन्हें अपनी ही सरकार में ‘दलाल’ की तरह से देखा जाता है। थाने में पुलिस अधिकारी तक पार्टी नेताओं की बात गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसके बाबत कई बार शिकायत की गई, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। इसे पार्टी का अनुशासन कहिए या योगी आदित्यनाथ की धमक, कोई उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया। दिनेश खटीक इस मामले में अलग निकले और उन्होंने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया

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