बिहार में भाजपा संग जो हुआ उससे BJD क्यों खुश है, अमित शाह के दौरे के बाद मची थी हलचल

in #politics2 years ago

NEWS DESK : WORTHEUM NEWS
PUBLISHED BY - SP

ओडिशा की सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) इस समय बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम से काफी खुश नजर आ रही है। बीजद के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि बिहार में भाजपा-जद (यू) गठबंधन का पतन उनकी पार्टी के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। ये बयानबाजी ऐसे समय में हो रही है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हाल ही में ओडिशा का दौरा कर वापस लौटे हैं। शाह ने 2024 के विधानसभा चुनावों में ओडिशा में भाजपा की सरकार बनाने का दावा किया था।

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शाह बोले- हम ओडिशा में भी अगली सरकार बनाएंगे

अमित शाह दो साल के बाद सोमवार को ओडिशा दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी 2024 के विधानसभा चुनावों में सरकार बनाएगी। शाह ने कहा कि भाजपा को अकसर हिंदी भाषी क्षेत्र की राजनीतिक पार्टी के तौर पर उल्लेख किया जाता था, लेकिन उसने पूर्वोत्तर राज्यों, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में सरकार बनाई है। उन्होंने कहा, ‘‘हम ओडिशा में भी अगली सरकार बनाएंगे।’’ शाह ने कहा कि भाजपा ने अब सरकार बनाकर 19 राज्यों में अपने पदचिन्हों का विस्तार किया है। आज उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में जीत हासिल की है। गुजरात भी एक हिंदी भाषी राज्य नहीं है, कर्नाटक, महाराष्ट्र में भाजपा की सरकारें हैं। जल्द ही ओडिशा में भी भाजपा सरकार होगी।" अमित शाह किताब ‘‘मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी’ के उड़िया संस्करण के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

#;ओडिशा में मोदी और मुर्मू की तस्वीरें बांटो- शाह

दिन के दौरान, शाह ने केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों के साथ बैठक की थी। उन्होंने अपने नेताओं को बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने और मिलकर काम करने की सलाह दी। राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर बीजद का प्रभुत्व रहा है। हालांकि इसके बावजूद नेताओं को उम्मीद न खोने की सलाह देते हुए, शाह ने उनसे उन केंद्रीय योजनाओं की सूची तैयार करने को कहा, जिन्हें राज्य सरकार ने पिछले 20 वर्षों में खत्म किया है। उन्होंने भाजपा नेताओं को कम से कम 1 करोड़ घरों में पीएम मोदी और राज्य के मयूरभंज जिले के रहने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तस्वीरें बांटने की भी सलाह दी।

बिहार भाजपा-जेडीयू टूट से खुश बीजद

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "इस साल पंचायत और निकाय चुनावों में, हमने सीटों के मामले में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, हालांकि हमारा वोट प्रतिशत काफी हद तक 30 प्रतिशत पर बरकरार रहा। शाह ने कहा कि हमें अगले 2 साल में हमारे लिए उपलब्ध किसी भी मंच पर बीजद से ही मुकाबला करना होगा।” हालांकि, बीजद नेताओं ने कहा कि मंगलवार को भाजपा-जद (यू) गठबंधन के टूटने के बाद अगले दो सालों में बीजद को चुनौती देने की शाह की योजना संभव नहीं हो सकती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मोदी नवीन पटनायक के साथ अपने कामकाजी संबंधों को बिगाड़ना नहीं चाहेंगे। बीजद के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि पटनायक बार-बार मोदी के भरोसेमंद सहयोगी साबित हुए हैं, इसलिए इस बात की बहुत कम संभावना है कि भाजपा उनके खिलाफ अधिक अक्रामक होकर उतरेगी।

"मोदी को पटनायक की पहले से ज्यादा जरूरत है"

सांसद ने कहा, "नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर निकलने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था। देश के पूर्व में सिर्फ एक ही गैर-भाजपाई मुख्यमंत्री हैं, जिसने नोटबंदी, जीएसटी, नागरिकता संशोधन अधिनियम या अविश्वास प्रस्ताव जैसे मसलों पर मोदी-शाह के शासन का बड़े पैमाने पर समर्थन किया है। मुख्यमंत्री पिछले 2 वर्षों में विपक्षी दलों के किसी भी महागठबंधन से दूर रहे। इससे वे पीएम के करीब भी हुए हैं। अब बिहार के घटनाक्रम को देखा जाए तो उन्हें (मोदी को) नवीन पटनायक को अपने पक्ष में करने की पहले से ज्यादा आवश्यकता होगी।"

बीजद के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि मोदी के साथ सीएम पटनायक की दोस्ती 2024 के चुनावों में भाजपा की संभावनाओं को कमजोर करेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी होगा क्योंकि पिछले 2 वर्षों में विधानसभा उपचुनावों के साथ-साथ इस साल पंचायत और नगर उपचुनावों में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की समान महत्वाकांक्षा को मतदाताओं ने नकार दिया है। बीजद नेता ने कहा, "बिहार में घटनाक्रम के बाद, भाजपा हद से ज्यादा बीजद के खिलाफ आक्रामक नहीं हो सकती है। हम हमेशा भाजपा से अधिक मजबूत थे और बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम के बाद, अब केंद्रीय नेतृत्व के नरम होने के बाद राज्य में भाजपा कैडर डिमोटिवेट हो जाएंगे।"

भाजपा बोली- बिहार घटनाक्रम से पार्टी की रणनीति प्रभावित नहीं होगी

हालांकि, शाह की बैठक में शामिल हुए भाजपा के एक नेता ने कहा कि बिहार के घटनाक्रम से पार्टी की रणनीति प्रभावित नहीं होगी। भाजपा अध्यक्ष समीर मोहंती, "अगर नवीन पटनायक सोचते हैं कि वह भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ सौदेबाजी कर सकते हैं तो वे गलत हैं। हम सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे और भ्रष्टाचार के कई मुद्दों पर सरकार को फांसने की कोशिश करेंगे। हम अधिक से अधिक लाभ पाने की कोशिश करेंगे। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति के पद पर आने से राज्य में 23 प्रतिशत आदिवासी वोटों को भुनाया जा सकता है। एक आदिवासी के लिए, मुर्मू का कमांडर-इन-चीफ बनना भावनात्मक रूप से बहुत बड़ी बात है और हम इसका फायदा उठाएंगे।"

भाजपा नेताओं ने कहा कि वरिष्ठ विधायक जय नारायण मिश्रा को विपक्ष का नेता नियुक्त कर पार्टी ने यह संदेश दिया है कि नवीन पटनायक सरकार के खिलाफ विभिन्न मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाने से पहले वह अब दो बार नहीं सोचेगी। मिश्रा अपने नवीन विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं, इसलिए पार्टी को उम्मीद है कि वह पश्चिमी ओडिशा में नुकसान की भरपाई करने में कामयाब होंगे।