कर्नाटक: हिजाब के बाद अब हलाल मीट का क्यों हो रहा है विरोध?
wortheum: published by , suryakant singh,
कर्नाटक में राजनीति कभी मंद नहीं पड़ती. इसका ताज़ा उदाहरण है कि अब वहां के हिंदू समुदाय से अपील की गई है कि वे शनिवार को पड़ने वाले कन्नड़ नव वर्ष 'उगादी' मनाने के अगले दिन 'हलाल' मांस न खाएं.
पंद्रह दिनों के भीतर कर्नाटक में एक के बाद एक मुद्दा, सोशल मीडिया और अख़बारों की सुर्ख़िया बन रहा है.
इसकी शुरुआत कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब के मुद्दे पर आए फ़ैसले से हुई थी. उस आदेश के बाद मुसलमानों ने अपनी दुकानें बंद करके, कोर्ट के फ़ैसले पर दुख जताया था. मुसलमानों के दुकान बंद करने के बाद, मंदिरों के त्योहारों में मुसलमान व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी थी.
परंपरा है कि नए साल का जश्न मनाने के लिए राज्य में ख़ासकर दक्षिण हिस्सों में लोग मांसाहारी भोजन पकाकर खाते हैं. इसे 'होसातोड़ाकु' या 'वर्षादा तोड़ाकु' के नाम से जाना जाता है. इसका मतलब है 'नए साल की शुरुआत'.
हिंदू जन जागृति समिति (एचजेजेएस) के प्रवक्ता मोहन गौड़ा ने इस बारे में बीबीसी हिंदी से बातचीत की. उन्होंने बताया, ''हम इस होसातोड़ाकु पर्व पर अपने हिंदू समुदाय से हलाल मांस न ख़रीदने की अपील कर रहे हैं. हलाल करने के लिए इस्लामी रवायतें अपनाई जाती हैं.''