अमृतपाल सिंह की गतिविधियों से बीजेपी की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
उन्होंने (बीजेपी) नकाब हटा दिया है. वे कहते हैं कि हम हिंदू हैं और वे खुले तौर पर हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं."
'वारिस पंजाब दे' संस्था के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू के दौरान यह बयान दिया था.
अमृतपाल सिंह आजकल पंजाब में काफ़ी सक्रिय हैं और सिखों के लिए खालिस्तान की मांग कर रहे हैं.
अमृतपाल सिंह का हाव-भाव और बोलने का तरीक़ा उन्हें जरनैल सिंह भिंडरावाले का दूसरा रूप बनाता है.
बीजेपी और कांग्रेस के नेता अमृतपाल सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. हालांकि पंजाब सरकार अब भी स्थिति पर नज़र बनाए हुए है.
अमृतपाल सिंह का तर्क है, "भारत का संविधान कहता है कि हम सिखों की पहचान को अलग नहीं मानते, हम इसे हिंदुत्व का हिस्सा मानते हैं."
यह कहते हुए अमृतपाल सिंह भारत के संविधान के अनुच्छेद-25 की ओर इशारा करते हैं, जिसमें हिंदू धर्म में ही सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को शामिल किया गया है.
खालिस्तान के पक्ष में तर्क देते हुए अमृतपाल कहते हैं, ''खालिस्तान एक ऐसा ढांचा होगा, जहाँ हर समुदाय के पास एक समान ताक़त होगी.''