कविता
दिल कभी शाद ,कभी नाशाद रहे ।
मुहब्बत के ये कितने सितम रहे ।।
वो करीब तो ,कभी दूर रहे ।
मेरी चाहत के भी अजीब सिले रहे ।।
जुबां पर बात कभी ,दिल में रहे ।
इजहारे मुहब्बत भी कयामत रहे ।।
शिकवा की तमन्ना ,कभी शिकायत रहे।
दिल भी हर अदा का तलबगार रहे ।।
पल कभी हल्के ,कभी बोझिल रहे ।
इक बूंद के भीतर जैसे समंदर रहे ।।
शानदार
Ok
शानदार
Ok
Ok
Ok
Good poem