कविता

in #poem2 years ago

दिल कभी शाद ,कभी नाशाद रहे ।
मुहब्बत के ये कितने सितम रहे ।।

वो करीब तो ,कभी दूर रहे ।
मेरी चाहत के भी अजीब सिले रहे ।।

जुबां पर बात कभी ,दिल में रहे ।
इजहारे मुहब्बत भी कयामत रहे ।।

शिकवा की तमन्ना ,कभी शिकायत रहे।
दिल भी हर अदा का तलबगार रहे ।।

पल कभी हल्के ,कभी बोझिल रहे ।
इक बूंद के भीतर जैसे समंदर रहे ।।

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