डॉक्टर की अनुपस्थित रहने से एमरजेंसी में तीन घंटे तक बिना इलाज के परेशान हुए मरीज व उनके परिजन

00001.jpgपठानकोट सिविल अस्पताल अपने स्टॉफ की खामियों को लेकर हमेशा अख़बारों की सुर्खियां बटोरता रहता है ऐसा ही एक मामला उस समय प्रकाश में आया जब शुक्रवार सुबह आठ बजे जिस डाक्टर ने एमरजेंसी का कार्यभार संभालना था वह समय पर नहीं पहुंचा। पहले तो स्टाफ ने यह कयास लगाया कि शायद किसी बजह से वह देर से आएंगे लेकिन जब दस बजे के करीब मरीजों का तांता लगना शुरू हुआ तो एमरजेंसी में इलाज को लेकर अफ़रा तफ़री मच गई क्योंकि जिस डाक्टर की ड्यूटी सुबह आठ बजे तक थी वह अपनी ड्यूटी कर चला गया और उसके बाद दूसरा डाक्टर नहीं पहुंचा। इसके बाद जब लोगों ने स्टाफ से जब तंग करना शुरू कर दिया तो स्टाफ ने जब ड्यूटी पर आने वाले डाक्टर से फ़ोन पर न आने का कारण पूछा तो उक्त डाक्टर ने कहा कि वह नहीं आ रहे है। इसके बाद जब एमरजेंसी में डाक्टर न होने के बारे में उच्च अधिकारियों को पता चला तो उन्होंने दूसरे डाक्टर की ड्यूटी लगाई जो करीब साढ़े 11 बजे के करीब एमरजेंसी में पहुंचे और उन्होंने लोगों की जाँच करनी शुरू कर दी वहीं इलाज हेतु एमरजेंसी में आए मरीज संजीव बिट्टू व समाजसेवी विनोद सोनी ने रोष स्वरूप कहा कि एमरजेंसी में डाक्टर का न होना सरकार व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नाकामी को सिद्द कर रहा है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में हमेशा जरूरतमंद व्यक्ति अपना इलाज करवाने के लिए आते है ऐसे ने तीन घंटे तक डाक्टर का एमरजेंसी में न होना दुःख की बात है। उन्होंने कहा कि ह्रदय रोग से पीड़ित मरीज को इलाज हेतु एमरजेंसी में लाए थे लेकिन स्टाफ ने उन्हें प्राथमिक उपचार कर डाक्टर न होने की बजह से उन्हें दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जिसके चलते वह ऐसी स्थिति में मरीज को लेकर कहां जाएं जो चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि जिस एमरजेंसी में 24 घंटे डॉक्टर मौजूद होना चाहिए वहां ड्यूटी पर आने वाला ही डाक्टर मौजूद नहीं है इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि आम आदमी किस के भरोसे है। उन्होंने विभाग से मांग करते हुए कहा कि इस लापरवाही के पीछे जो भी व्यक्ति है उसके खिलाफ बनती कार्रवाई की जाने चाहिए।