खजरैठा वैष्णवी दुर्गा मंदिर में दुर्गा सप्तशती के साथ भव्य आरती का आयोजन
परबत्ता प्रखंड के खजरैठा गांव में वैष्णवी माँ भगवती की पूजा वहाँ के ग्रामीण कई सौ वर्षों से करते हैं आ रहें हैं। माँ की महिमा अगम अपार है। माँ सभी कष्टों को दुर करती हैं। तथा भक्तों की मन्नतें पूर्ण करती हैं।वहीं काशी एवं मध्य प्रदेश के विद्वान पंडित आशीष झा, पंकज कृष्ण शास्त्री, पंडित कृष्ण कांत झा के द्वारा पूजन कार्य किया जा रहा। यहाँ के मंदिर में वैष्णवी माँ भगवती की पूजा होती हैं। नौ दिनों तक ग्रामीण भक्त गण दुर्गा सप्तशती के साथ रामचरितमानस का नवाह पाठ करने की परंपरा कई सौ वर्षों से चलती आ रही हैं। माँ के साथ श्री राम भगवान की भी जयकार हो रही है। माँ के नौ रूप की पूजा विधि विधान तरीके से होती हैं। सप्तमी के दिन निशा पूजा मास दहीं भक्त बलि (अरवा,चावल,कलाइ,दहीं )की परंपरा सदियों से चलती आ रही हैं। निशा पूजा सांकेतिक रूप में किया जाता हैं। अस्त्र शस्त्र का प्रयोग नहीं किया जाता हैं।नवग्रह पूजा का भी विशेष परम्परा है।जिला परिषद के पूर्व सदस्य खजरैठा निवासी पंकज कुमार राय बताते हैं कि इस वर्ष माँ भगवती की प्रतिमा का निर्माण आकर्षक ढंग से किया गया है।लगातार नौ दिनों तक भक्त गण भक्ति की गंगा में डूबे रहते हैं।दस भुजा वाली माँ भगवती की कृपा से कई भक्तों को जीवन दान प्राप्त हुआ है जो आज लोगों के जुबान पर हैं। खजरैठा की दस भुजा वाली वैष्णवी माँ भगवती की आराधना करने वाले भक्त को हर संकट से मुक्ति मिलती हैं।दुर दराज से कई भक्त गण शारदीय नवरात्रि में आते हैं। वैष्णवी माँ भगवती सुख,समृद्धि का प्रतीक हैं। खजरैठा के ग्रामीण श्रद्धा भक्ति के साथ धुम धाम से शारदीय नवरात्रि मनाते हैं। दुर्गा सप्तशती एवं रामचरितमानस के नवाह पाठ के ध्वनि से नौ दिनों तक वातावरण गुंजायमान रहती हैं।मंदिर में खास तरीके के रोशनी की व्यवस्था में लोग लगे हुए हैं। ताकि भक्त जनो को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।नवमी पूजा के दिन कुंवारी कन्या पूजन का विशेष महत्व है। उस दिन चार 51 से अधिक संख्या में कुंवारी कन्या का पूजन मंदिर में किया जाता हैं। अपने अपने चिन्हित कुंवारी कन्या को नये वस्त्र ,एवं श्रृंगार से सुशोभित किया जाता हैं।कुंवारी कन्या पूजन के बाद मंदिर परिसर में नवमी एवं दसवीं के दिन भोजन करवाया जाता हैं। कुंवारी कन्या द्वारा जो भोजन प्राप्त किया जाता हैं उसमें से बचे शेष भाग ग्रामीण के बीच प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता हैं। नवमी की रात्रि मंदिर परिसर में ब्राह्मण भोजन करवाने की भी परम्परा है। शारदीय नवरात्र को लेकर पुरे गांव में भक्ति का माहौल बना हुआ है।