75 पारियों से शतक नहीं, फिर भी औसत बड़े-बड़ों से ज्यादा... विराट कोहली को सुना देना कितना आसान है!
अगर आप रन्स नहीं बनाते तो हमें लगता है कि कुछ गड़बड़ है। हमें बस एक चीज दिखती है और वो है आपकी परफॉर्मेंस। अगर परफॉर्मेंस नहीं है तो ये उम्मीद मत रखिए कि लोग चुप रहेंगे। आपके बैट और आपकी परफॉर्मेंस को बोलना चाहिए, और किसी को नहीं।' कपिल देव ने पिछले दिनों विराट कोहली की 'खराब फॉर्म' पर यही कहा था। कपिल पाजी की बात बिल्कुल सही है कि रन नहीं बनाओगे तो लोग सवाल करेंगे ही लेकिन कितने रन काफी हैं? कोहली जितने कद के बल्लेबाज से हर सीरीज में शतक की उम्मीद होती है मगर वह ढाई साल से भी ज्यादा वक्त से शतक का सूखा झेल रहे हैं।
बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ पांचवे टेस्ट में भी कोहली फिर 'फ्लॉप' साबित हुए। जाहिर था, फैन्स और कमेंटेटर्स भड़केंगे। यही हुआ। कोहली के खिलाफ उठती आवाजों के बीच एक आवाज थोड़ी बैलेंस्ड और लॉजिकल रही। इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेट ग्राएम स्वान को लगता है कि हाल के दिनों में कोहली को कुछ ज्यादा ही लताड़ दिया गया है। स्वान की बात में कुछ दम तो है। टेस्ट क्रिकेट में कोहली का औसत भले ही 50 से नीचे चला गया हो, उनके आंकड़े अब भी समकालीन बल्लेबाजों से कहीं बेहतर हैं।
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