चीन और पाकिस्तान की परियोजना एक बार फिर भारत ने क्यों जताई है नाराज़गी, जानिए वजह

in #pakistan2 years ago

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चीन-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर प्रोजेक्ट में तीसरे देश की भागीदारी की ख़बरों के बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा है कि “प्रोजेक्ट पर सरकार की नज़र है और किसी भी पक्ष द्वारा ऐसी गतिविधियाँ भारत की संप्रुभता और अखंडता का उल्लंघन है.”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वो “तथाकथित सीपीईसी” का विरोध करते हैं “जो पाकिस्तान की ओर से ग़ैर क़ानूनी तरीक़े के कब्ज़ा किए गए भारतीय ज़मीन है”

उन्होंने कहा, “इस तरह की गतिविधियाँ ग़ैर क़ानूनी हैं, इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता और भारत इसका उचित जवाब देगा."

विदेश मंत्रालय का बयान उन ख़बरों के बाद आया है जिनमें कहा जा रहा है कि पाकिस्तान और चीन अरबों डॉलर के सीपीईसी में शामिल होने के “इच्छुक” तीसरे देशों का स्वागत करेंगे.

क्या है सीपीईसी परियोजना?

चीन पाकिस्तान में 62 अरब डॉलर का निवेश करके एक आर्थिक गलियारा तैयार कर रहा है जिसे अंग्रेज़ी में चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर कहा जाता है.

ये आर्थिक गलियारा चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का एक अहम अंग है. इसकी शुरुआत साल 2013 में हुई थी. लेकिन पाकिस्तान की दिनोंदिन बिगड़ती माली हालत की वजह से इसके तहत आने वाले कई बड़े प्रोजेक्ट सालों तक शुरू नहीं हुए.

इसके तहत चीन दशकों से पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में पड़ने वाले ग्वादर बंदरगाह को विकसित करने की कोशिश कर रहा है.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, तमाम विकासशील परियोजनाओं के बावजूद ग्वादर के रहने वाले पीने के पानी की बूँद-बूँद को तरस रहे हैं. इसलिए भी पाकिस्तान में चीन की इस परियोजना का विरोध होता है.