गेमिंग की ऐसी लत कि टॉयलेट जाने का होश नहीं:कोई मां-बाप पर उठा रही हाथ
जयपुर के एक नामी बिजनेसमैन फैमिली को उनकी 12वीं में पढ़ रही बेटी ने खून के आंसू रुलाया। यह परिवार अब भी उस सदमे से उबर नहीं पाया है। तीन साल पहले 10वीं में 86 % मार्क्स लाने वाली होनहार बेटी इतनी गुस्सैल बन गई कि बात-बात पर घरवालों को ब्लैकमेल करने लगी। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए दिए स्मार्टफोन पर गेमिंग के नशे ने उसे ऐसा जकड़ा कि परिवार वालों को भी पता नहीं चला। फोन पर पाबंदियां लगाई तो वह घर छोड़कर गुजरात भाग गई।
ये केवल एक परिवार की समस्या नहीं है। आज सैकड़ों परिवार ऐसी ही परेशानी से जूझ रहे हैं। ऑनलाइन गेम्स की लत टीनएजर बच्चियों में तेजी से गेमिंग डिसऑर्डर का रूप लेती जा रही है। देश-विदेश में हुई स्टडी के एनालिसिस के बाद दैनिक भास्कर ने नए नजरिए से पड़ताल की।
आधा दर्जन से ज्यादा साइकेट्रिस्ट और मनोवैज्ञानिक (काउंसलर) से बातचीत की, जिसमें चौंकाने वाले फैक्ट सामने आए। मोबाइल गेम की लत का शिकार होने वाले हर 10 बच्चों में बच्चियों का आंकड़ा 4 तक पहुंच गया है। भास्कर पीड़ित परिवारों से भी मिला, जिन्होंने डॉक्टर्स की मदद से अपने बच्चों को ऐसी परेशानियों से बाहर निकाला। मुश्किल से दो-तीन परिवार केवल इस शर्त पर राजी हुए कि उनकी पहचान उजागर नहीं की जाए। मंडे स्पेशल स्टोरी में आपको बताते हैं कैसे ऑनलाइन गेम्स अब बच्चे ही नहीं बच्चियों के दिमाग से भी खेल रहे हैं....