Rakhi 2022: नोएडा में झुग्गियों के बच्चे बना रहे ईको फ्रेंडली राखी, मार्केट में बढ़ी डिमांड
Noida News: नोएडा के कुछ युवा झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को ईको फ्रेंडली राखी बनाना सिखा रहे हैं. साथ ही उन राखियों को बेचने में भी मदद कर रहे हैं. राखियों से आने वाली आमदनी बच्चों के परिवार को दे दी जाती है.
नोएडा. रक्षाबंधन के दिन किसी भाई की कलाई सूनी ना रहे और हर घर में खुशियों का माहौल हो, इसको साकार करने के लिए नोएडा के कुछ युवा एक अच्छा प्रयास कर रहे हैं. हर घर में खुशियां पहुंचे इसके लिए ये युवा झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को ना सिर्फ राखियां बनाना तो सीखा रहे हैं, बल्कि उनकी बनाई राखियों को बाजार तक पहुंचा भी रहे हैं.हुनर सिखाना सबसे बड़ा तोहफा
नोएडा सेक्टर-71 में रहने वाली मनीषा बैचलर्स की अंतिम वर्ष की स्टूडेंट हैं. उनका कहना है कि सबसे अच्छा तोहफा ज्ञान है. किसी को शिक्षित करना या कोई हुनर सिखाना सबसे बेहतर है. इसी सोच के साथ हमने एक छोटी सी कोशिश की है. देश और विदेश में प्रदूषण और पर्यावरण को लेकर बहस छिड़ी हुई है. ऐसे में हमने सोचा क्यों ना नोएडा के अलग-अलग झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को ईकोफ्रेंडली राखियां बनाना सिखाया जाए. हमने ये जिम्मा उठाया और बच्चों को राखियां बनाना सिखाया. इसके बाद उनकी क्रिएशन को बाजार में बेचने के लिए आइडिया ग्रुप में शेयर किया.सभी लोगों ने इस पहल को पसंद किया और लोगों ने राखियों को बेचने में मदद करना शुरू कर दिया. इन राखियों के जरिए जो भी आमदनी होती है, वह बच्चों के परिवार को दे दी जाती है. एक राखी 20 से 50 रुपए तक की आती है. इस पूरे अभियान में बच्चों के परिवार से एक भी रुपया नहीं लिया जा रहा है. राखी बनाने का सारा सामान हम लोग ही लेकर आते हैं.रूबी सेक्टर-73 की झुग्गियों में रहती हैं. वो बताती हैं कि मैं पढ़ती भी हूं इसलिए ज्यादा राखी तो नहीं बना पाती. लेकिन रोज पांच से छह राखियां बना लेती हूं. पिछले दो महीने से मैं राखी बनाने का प्रशिक्षण ले रही थी. हम वेस्ट पेपर की ही राखियां बना रहे हैं. साथ ही सजावट के लिए भी वेस्ट सामान का ही प्रयोग कर रहे हैं.पर्यावरण की भी सुरक्षा
विकास पेशे से इंजीनियर हैं. वे बताते हैं कि हम अपने परिचितों और कार्यालयों में इस पहल के बारे में बताते हैं. इससे लोगों को हमारा यह आइडिया अच्छा लगता है और फिर वे हमारी मदद करते हैं. पिछले दो-तीन सालों से यह कर रहें है.दीवाली में भी इस तरह के प्रयोग करते हैं और रक्षाबंधन पर भी. ये राखियां पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं. पहले बच्चों के परिवार से बात करते हैं, उनकी अनुमति पर ही बच्चों को यह हुनर सिखाते हैं.