अफीम की सबसे अधिक खपत मारवाड़ में।

in #news2 years ago

देश में अफीम की सबसे अधिक खपत वाले मारवाड़ में अब देश के पूर्वोत्तर से नशे की खेप पहुंच रही है। मारवाड़ के तस्करों ने मणिपुर के अफीम माफिया से गठजोड़ कर लिया है। वहां से आने वाले ट्रकों के माध्यम से दुनिया की बेहतरीन क्वालिटी की अफीम यहां पहुंच रही है। मणिपुर पुलिस ने कल इंफाल में जोधपुर के एक ट्रक ड्राइवर को गिरफ्तार कर दस करोड़ की अफीम बरामद की है। पूछताछ में ट्रक ड्राइवर ने बताया कि अफीम की यह खेप वह जोधपुर लेकर जा रहा था। इससे पहले भी पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर से अफीम की यहां आ रही खेप कई बार पकड़ी जा चुकी है। मारवाड़ के तस्करों की इस नई सप्लाई लाइन ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की परेशानी बढ़ा दी है। वे इस नेक्सस को तोड़ने के प्रयास में जुटे है।
मणिपुर वेस्ट जिला पुलिस ने कल पूर्व में मिले इनपुट के आधार पर मिथूथोंग क्षेत्र में एक ट्रक को रोक उसकी तलाशी ली। मणिपुर वेस्ट के एसपी के शिवकांत सिंह ने बताया कि प्लाईवुड से भरे इस ट्रक को जोधपुर का 44 वर्षीय सादीक मोहम्मद चला रहा था। गहन तलाशी के बाद ट्रक के नीचे गुप्त रूप से बनाए गए एक बॉक्स में 131 पैकेट्स अफीम से भरे बरामद किए गए। इसके बाद ट्रक की दोबारा तलाशी लेने पर उसमें सात पैकेट और बरामद किए गए। इन सभी पैकेट्स का कुल वजन 136 किलोग्राम पाया गया। उन्होंने बताया कि बेहतरीन क्वालिटी के इस अफीम का अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य दस करोड़ रुपए है। ट्रक ड्राइवर ने बताया कि जोधपुर में उसके पार्टनर ओमप्रकाश ने उसे ये पैकेट्स लाने को कहा था। इंफाल में एक अज्ञात व्यक्ति इस अफीम को उस तक पहुंचा कर गया था। मुझे ये पैकेट्स जोधपुर पहुंचाने थे। इससे आगे इनको कहां बेचा जाना था इस बारे में ओमप्रकाश ही बता सकता है।

दुनिया की श्रेष्ठ मानी जाती है मणिपुरी अफीम

मणिपुर के घने जंगलों व पहाड़ी क्षेत्र में गत कुछ वर्ष से अफीम की खेती व्यापक स्तर पर होने लगी है। इन दूरदराज के क्षेत्र में पुलिस तक नहीं पहुंच पाती है। मणिपुर की जलवायु व पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां उपजने वाली अफीम को दुनिया की श्रेैष्ठ अफीम माना जाता है। इस अफीम की गुणवत्ता 80 प्रतिशत तक एकदम सही होती है। वहीं मध्य प्रदेश से आने वाली अफीम की गुणवत्ता 50 से 55 प्रतिशत तथा झारखंड के अफीम की गुणवत्ता महज पच्चीस प्रतिशत तक की मानी जाती है।

बीस गुना कर बेचते है बाजार में

तस्कर मणिपुरी अफीम में मिलावट कर इसकी मात्रा को बीस गुना तक बढ़ा देते है। इस कारण इसकी बिक्री से उन्हें मोटा मुनाफा होता है। ऐसे में तस्करों के बीच सबसे अधिक मांग मणिपुरी अफीम की रहती है। लेकिन सैकड़ों किलोमीटर दूर से अफीम लाने की रिस्क भी सबसे अधिक है।

मणिपुर में बैठे गए तस्करों के एजेंट

मारवाड़ के कुछ लोग मणिपुर में ट्रक ड्राइविंग के नाम पर वहां पर बैठ गए है। ये लोग स्थानीय लोगों के साथ गठजोड़ कर मारवाड़ के तस्करों के लिए एजेंट की भूमिका निभाते हुए कमीशन पर धंधा कर रहे है। एजेंट मारवाड़ के तस्करों से ऑर्डर लेकर उनके बताए गए ट्रक तक अफीम की खेप पहुंचाने का काम करते है।

नया नेक्सस विकसित

जोधपुर में एनसीबी के जोनल डॉयरेक्टर रह चुके उगमदान का कहना है कि नया नेक्सस विकसित हो गया है। इसे तोड़ने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। पूर्वोत्तर से आने वाले ट्रकों पर सघन निगरानी कर इस नेटवर्क को तोड़ा जा सकता है। पूर्व में भी अफीम की काफी खेप पकड़ी गई। मध्य प्रदेश की सप्लाई लाइन को काफी हद तक तोड़ा गया। इस कारण तस्करों ने पूर्वोत्तर पर अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया।

मारवाड़ में सबसे अधिक खपत

मारवाड़ में सदियों से अफीम के मनुहार की कुप्रथा चली आ रही है। ग्रामीम क्षेत्र के किसी घर में शादी हो या किसी की मौत, अफीम की मनुहार के बगैर आयोजन को अधूरा माना जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग आदतन रोजाना अफीम का सेवन करते है। यही कारण रहा है कि मारवाड़ में अफीम की सबसे अधिक खपत होती है। इस कारण अफीम की तस्करी पर कभी भी प्रभावी अंकुश नहीं लग पाया। पुलिस लगातार नशे की खेप पकड़ती है, लेकिन तस्कर हर बार नया तरीका खोज अफीम लोगों तक पहुंचा ही देते है।
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