खत्म होने की कगार पर सदानीरा कठिना नदी

in #news2 years ago

IMG-20220402-WA0274.jpgमहोली (सीतापुर) सदानीरा कष्टहरनी के नाम से विख्यात कठिना नदी सरकार की लापरवाही और नगर पंचायत की हठधर्मिता से अपना वजूद खोती जा रही है, देश और प्रदेश की सरकारें भले ही नदियों के संरक्षण का ढिंढोरा पीटती दिखाई देती हों लेकिन सरकारी तंत्र और नौकरशाहों की हठधर्मिता के चलते जलस्रोतों की जननी कही जाने वाली नदियों का वजूद खतरे मे दिखाई दे रहा है,
लखीमपुर खीरी जिले के निघासन कस्बे के पास एक तालाब से निकलकर सीतापुर जिले के हरनी गाँव के पास गोमती नदी मे समाहित होकर तकरीबन 145 किलोमीटर की भूमि को अभिसिंचित करने वाली कठिना नदी भी इसी लापरवाही का शिकार बन चुकी है, भीषण गंदगी और जगह जगह जमा हुई सिल्ट, काई, तथा जलीय पौधों ने कठिना की धारा को रोक दिया है, इंसानों द्वारा पूजा पाठ की सामग्री प्रवाहित करने से नदी को छलनी कर दिया है, नदी के घाटों पर मलमूत्र विसर्जित तथा नगर पंचायत द्वारा गिराये गये गंदे नालों की वजह से नदी का जल दुर्गंध युक्त व जहरीला होने की वजह से जलीय जंतुओं का वजूद भी खतरे मे पड़ गया है, महोली नगर पंचायत ने भले ही नागरिकों की सुविधा के लिये गंदे नालों का निर्माण करवाकर अपनी पीठ थपथपा ली है लेकिन नदी मे गंदगी प्रवाहित करने की वजह से कठिना नदी का मार्ग अवरुद्ध कर अपनी ओछी मानसिकता का प्रदर्शन कर दिया है,
आज कठिना नदी जीवित रहने के लिये कसमसा रही है मगर लापरवाह प्रशासन ने इस नदी को मात्र कूडादान बनाकर रख दिया है जहां नगर के अपशिष्ट पदार्थों को डाला जा रहा है और गंदे नाले का पानी प्रवाहित किया जा रहा है, कठिना नदी की दुर्दशा देख तकरीबन दो वर्ष पूर्व राधा कृष्ण सतसंग आश्रम के महंत स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती के अथक प्रयास और नगर के जागरुक युवाओं द्वारा नदी का कुछ हिस्सा साफसफाई कर निर्मल बनाया गया था, जिससे नदी की धारा सुचारू रूप से प्रवाहित होने लगी थी, परन्तु कुछ समय पश्चात नगर प्रशासन द्वारा नदी के किनारे नगर के अपशिष्ट पदार्थों का स्टाक लगाया जाने लगा, वो अपशिष्ट पदार्थ हवा के बहाव से नदी मे गिरते रहने के कारण फिर भीषण गंदगी का शिकार बन गयी है,
आज नदी की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है, स्वच्छ जल और स्वच्छ नगर का ढिढोरा पीटने वाली नगर पंचायत नदी की दुर्दशा देखकर अपनी आंखे बंद किये हुए है, एक तरफ कई पार्कों का निर्माण कर सुंदर महोली के नाम पर जगह जगह अनर्गल पैसा थोपने की कोशिश की जा रही है वहीं क्षेत्र का सबसे बड़ा जलस्रोत खत्म करने की कोशिश हो रही है,
अपने जीवन की सुरक्षा के लिये लोगों से फरियाद करने वाली कठिना नदी फिर से किसी भागीरथी का इंतजार कर रही है ताकि फिर एक बार उसके मार्ग को स्वच्छ कर उसके प्रवाह को सुगम बनाया जा सके |