तालाबों का खत्म होता वजूद! भूमाफियाओं के लालच का शिकार जलस्रोत

in #news2 years ago

महोली (सीतापुर) हर डाल पर उल्लू बैठे हैं अंजाम ए गुलिस्ताँ क्या होगा, ये कहावत ग्रामीण क्षेत्रों मे पूरी तरह से लागू हो रहा है, ग्रामीण क्षेत्र में कोई ऐसा तालाब नही बचा है जो भूमिकाओं की काली निगाहों से बच सका हो, कहीं तालाबों को पाटकर खेत मे मिला लिया गया है तो बहुत से तालाबों पर अवैध मकान बन चुके हैं, क्षेत्र के अधिकांश तालाब खुद ग्राम प्रधानों ने कब्जा कर रखे हैं जिनमे उनके द्वारा खेती कराई जा रही है, या प्रधान जी के रिश्तेदारों के द्वारा पाटकर मकान बना लिए गए हैं,
बता दें कि महोली नगर मे चौदह वार्ड हैं इन सभी वार्डों मे सरकारी कागजों पर कई कई तालाब अंकित हैं लेकिन जमीनी स्तर पर किसी भी वार्ड मे तालाब सुरक्षित नही बचे हैं, जिनमे से कुछ तालाब कई कई एकड़ मे फैले हुये थे, लेकिन आज उन तालाबों का अवैध कब्जेदारी के चलते वजूद ही खत्म हो चुका है, ऐसे ही कुछ प्रमुख तालाब राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी थे, लेकिन आज वो तालाब अतिक्रमण की वजह से छोटे से गड्ढे के रूप मे परिवर्तित हो गये हैं,
नगर में मेला वाली बाग के पास दो बडे़ बडे़ तालाब आमने सामने है लेकिन दोनों तालाबों पर बहुत अधिक अतिक्रमण हो चुका है जिसकी वजह से वो तालाब छोटे से गड्ढे के रूप मे परिवर्तित हो गये है, मोहल्ला ठकुरहन टोला का तालाब पूरी तरह से अतिक्रमण किया जा चुका है जिसपर कई मकान बन चुके हैं, और जीटी रोड की तरफ उसी तालाब पर दुकाने भी बनाई जा चुकी हैं,
स्थानीय लोगों की माने तो सिर्फ यही तालाब अतिक्रमण की वजह से खत्म नही हुये हैं बल्कि रिहायशी क्षेत्र मे भी तालाब हुआ करते थे जिनको पाटकर खेत या मकान बना लिए हैं, मजे की बात ये है कि जिस प्रधानमंत्री आवास योजना मे प्रशानिक कर्मचारियों की टीम जांच कर पात्रता घोषित करने का दावा करती है, वही टीम चंद पैसों के लालच में आकर तालाबों मे आवास पास कर रही है,
ये सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का खेल कई वर्षों से चल रहा था, जिसके बारे मे लोगों ने प्रशासन से शिकायत भी की थी मगर उन दिनों उनकी शिकायत को ठंडे बस्ते मे डाल दिया जाता था, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट की दखलंदाजी के चलते जलस्रोतों को पुनः मुक्त कराने प्रयास किया जा रहा है, लेकिन क्या इस प्रक्रिया मे पूरी ईमानदारी से कार्य हो सकेगा इस बात मे संसय दिखाई दे रहा है |