फ़ौज में छँटनी : दस वर्ष में छह लाख सैनिक भूतपूर्व होंगे

in #news2 years ago

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भारतीय सेना में रेगुलर सैनिकों की भर्ती (क़रीब दो हज़ार सैनिक क्योंकि इस वर्ष कुल आठ हज़ार अग्निवीर ही भर्ती किये जा सकते हैं और उनके 25% ही रेगुलर सेना में स्वीकृत किये जाएँगे) आज से चार साल बाद होगी।

पिछले दो साल कोई भर्ती नहीं हुई और आगामी चार साल होगी नहीं क्योंकि तब तक पहला अग्निवीर बैच मेच्योर नहीं होगा । प्रति वर्ष क़रीब साठ हज़ार सैनिक रिटायर होते हैं तो इस दर से तीन लाख साठ हज़ार सैनिक तब तक रिटायर हो जाएँगे और कुल दो हज़ार सैनिक उसके बाद लिये जाएँगे । अगले साल क़रीब पैंतालीस हज़ार अग्निवीर भर्ती होंगे जिनमें से 25% यानि क़रीब 4125 रेगुलर सैनिक बनेंगे ।

समझ आता है कि दस बरस में क़रीब छह लाख सैनिक भूतपूर्व हो जाएँगे और उनकी जगह आने वाले कुल क़रीब पच्चीस हज़ार रेगुलर सैनिक होंगे जिन्हें पूरा वेतन भत्ते पेंशन और मृत्यु या घायल होने की स्थिति में नियत राशि / सहयोग करना पड़ेगा ।

सारा मसला आर्थिक है जिसे लफ़्फ़ाज़ी में लपेटा गया है । क़रीब पाँच लाख करोड़ के रक्षा बजट में क़रीब एक लाख बीस हज़ार करोड़ रुपये पेंशन की मद में बीते साल ख़र्च हुए । सेना के आधुनिकीकरण के लिए जो धन रक्खा जाता है वह इन्फ्लेशन के चलते साल दर साल कम हो जाता है । दुनियाँ की अनेक सेनाओं ने इस बाबत तरह तरह के समझौते किये हैं । अग्निवीर जैसी स्कीम उसी की कापी है, रूस ने हमसे पहले यह प्रयोग किया लेकिन हमारे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों (रिटायर्ड) की टिप्पणी है कि युक्रेन में उसे इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ी ।

तो हमारी सरकार ने भी क़रीब चौदह लाख की सेना से आगामी आठ वर्षों में (दो पहले ही बीत चुके हैं तो कुल दस वर्षों में) क़रीब छह लाख पेंशनधारियों को कम करना तय किया है । सेना को भी छरहरा करने का लक्ष्य है जिससे आधुनिकीकरण के लिए धन जुटाने में मदद मिले ।

लेकिन क्या यह बात बरसों बरस सड़कों के किनारे दौड़ कर फ़ौज में भर्ती होने के लिए तैयार हो चुके/ हो रहे नौजवानों से विचार विमर्श और समायोजन के ज़रिए नहीं की जानी थी । उनसे दादागिरी दिखाने, अचानक स्कीम थोप देने और अब लालीपाप पेश करने का क्या यह सबक़ नहीं है कि यह सरकार अपनी आबादी से व्यवहार में तानाशाह की तरह पेश आई है/ आती रही है?

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Good job