राजस्थान के स्कूलों में भी पढ़ाया जाए स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाए

in #news3 months ago

जयपुर मेयर बोली- स्कूलों के सिलेबस में हो बदलाव:शिक्षामंत्री को ज्ञापन सौंप कहा- सिंगापूर की तरह राजस्थान के स्कूलों में भी पढ़ाया जाए स्वच्छता का पाठ

जयपुर
शिक्षामंत्री मदन दिलावर को ज्ञापन देती जयपुर मेयर सौम्या गुर्जर।
राजस्थान को सिंगापुर की तरह स्वच्छ और सुंदर बनाया जा सके। इसको लिए जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर स्कूलों में स्वच्छता का पाठ पढ़ाना चाहती है। जिसको लेकर उन्होंने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को ज्ञापन सौंप नए शैक्षणिक सत्र से कक्षा 1 से 5 तक इस लागू करने की मांग रखी है। हालांकि प्रदेश के स्कूलों में NCERT का कोर्स पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में मेयर ने स्कूल समय में ही स्वच्छता का एक कालांश (पीरियड) जोड़ने की मांग की है। ताकि स्कूली बच्चे बचपन से ही स्वच्छता को अपने जीवन में उतार सकें।

जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर ने बताया कि बीते दिनों वर्ल्ड सिटी समित 2024 में शामिल होने के लिए सिंगापुर गई थी। वहां की स्वच्छता देखकर जब स्थानीय लोगों से पूछा, तो उन्होंने बताया कि यहां स्कूल में ही छात्रों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाता है। वहां स्वच्छता की सीख एक जन्म घुट्टी के रूप में दे दी जाती है। जिसकी वजह से आम जनता में स्वच्छता इतनी आत्मसात हो जाती है। वहां वह लोग सोचते भी नहीं है कि कचरे को कभी बाहर फेंके। ऐसे में जब राजस्थान में भी बच्चे स्वच्छता को आत्मसात करेंगे, तो वो अपने बड़ों को भी टोकेंगे और कचरा फैलाने से रोकेंगे।

उन्होंने बताया कि स्वच्छता का पाठ यदि बचपन में ही पढ़ लिया जाए। तो स्वच्छता आदत और व्यवहार में शामिल हो जाती है। जिसके माध्यम से अपने शहर, गांव, प्रदेश और देश को स्वच्छ बनाए रखा जा सकता है। इसलिए अब छात्रों को स्वच्छता क्या होती है, स्वच्छता के क्या प्रकार होते हैं, स्वच्छता कैसे रखी जाती है, उसके लिए क्या प्रयत्न किए जाते हैं, ये सीख बचपन में ही स्कूली कक्षाओं में देने की जरुरत है।

मेयर ने शिक्षा मंत्री को दिए ज्ञापन में स्कूली पाठ्यक्रम में छात्रों को स्वच्छ क्षेत्र और अस्वच्छ क्षेत्र में अंतर, कचरे के प्रकार, कचरा कहां डाला जाए, कचरे को नहीं जलाने जैसे बेसिक कॉन्सेप्ट्स को चित्रों के माध्यम से पढ़ाना और कक्षा के स्तर के अनुसार स्वच्छता के कॉम्पोनेंट्स को शामिल करने को लेकर सुझाव दिया गया है। जिसपर शिक्षामंत्री ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए अधिकारियों से चर्चा के बाद फैसला लेने कि बात कही है।